मनोज चतुर्वेदी/बलिया: बेजुबानों की तकलीफ को अक्सर हम अनदेखा कर देते हैं. हैरानी की बात यह है कि संबधित महकमे के अधिकारी और कर्मचारियों को भी इसकी परवाह नहीं होती. बलिया जनपद में सुखपुरा थाना क्षेत्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. यहां देवकली गांव में एक लंगूर बेहोशी की हालत में चाय की दुकान के पास पड़ा मिला. उसी दौरान पशुप्रेमी एक शख्स नवीन कुमार राय को जब इसका पता चला तो वह तुरंत ही लंगूर को देखने पहुंचे. 


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संबंधित विभाग को दी जानकारी


जिंदगी और मौत से जूझते लंगूर की मदद के लिए उन्होंने वन विभाग एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सूचित किया. दोनों ही विभाग के अधिकारियों ने कोई मदद नहीं की. वक्त जैसे-जैसे बीतता गया लंगूर की सांसे थमती चली गई. थोड़ी ही देर में लंगूर ने दम तोड़ दिया. इस घटना से दुखी नवीन लंगूर को कंधे पर उठाकर डीएम दफ्तर पहुंच गया. यहां डीएम साहब ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा तो जरूर दिया लेकिन मृत जानवर की अंत्येष्टि की कोई व्यवस्था नहीं की गई. थक हार कर नवीन मृत लंगूर को गंगा में प्रवाहित करने चला गया.




मौत की वजह भी पता नहीं चली


पशु प्रेमी का यह भी कहना था कि यदि लंगूर का पोस्टमार्टम हो जाता तो उसकी मौत की असली वजह पता चल जाती. हालांकि इस बारे में भी संबधित विभाग का कोई कार्रवाई न करना विभागीय जिम्मेदारी को दरकिनार करने जैसा है. वैसे यह कोई पहला मामला नहीं है जब सार्वजनिक स्थान पर बेजुबानों के शव इस तरह पड़े मिले हों, अक्सर वन विभाग और पशुपालन विभाग के साथ ही समाज की उदासीनता की तस्वीरें सामने आती रही हैं. ऐसे में जरुरत इस बात की है कि लोग पशुओं से जुड़े अधिकारों को लेकर न सिर्फ सजग हों बल्कि संबंधित विभागों को भी सतर्क करते रहें. 


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