भू-माफिया यशपाल तोमर 2010 में था साधारण किसान, दस साल बाद ऐसे बना गया 5 सौ करोड़ का मालिक
गैंगस्टर यशपाल तोमर जिसका एक समय बागपत, मेरठ, नोएडा और हरिद्वार में रसूख बोलता था. बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलता तो जहां जाता वहां फूल मालाओं से स्वागत किया जाता.
Gangster Yashpal Tomar Story: गैंगस्टर यशपाल तोमर जिसका एक समय बागपत, मेरठ, नोएडा और हरिद्वार में रसूख बोलता था. बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलता तो जहां जाता वहां फूल मालाओं से स्वागत किया जाता. 2022 के विधानसभा चुनाव में यही यशपाल तोमर रसूख और शोहरत के बल पर राजनीति में कदम रखना चाह रहा था,जिसने बापगत के अपने बरवाला गांव से लेकर छपरौली विधानसभा तक अपना सिक्का जमाने का प्रयास किया. आज यही गैंगस्टर हरिद्वार में सलाखों के बीच जिंदगी काट रहा है. इसी कुख्यात की यूपी और उत्तराखंड में अभी तक 300 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया जा चुका है. यशपाल तोमर के कुछ वर्षों में अरबपति बनने की यह कहानी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.
यशपाल सिंह तोमर की स्टोरी किसी फिल्मी क्राइम सीन से कम नहीं
पर्दे के पीछे से जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला यशपाल तोमर पैसे के दम पर एक राजनीतिक दल से विधानसभा से टिकट मांगने की तैयारी करने लगा, लेकिन यहां सफल नहीं हुआ. जिसके बाद दूसरी पार्टी के बहाने खुद को आगे लाने की तैयारी की. चुनाव होने में समय था, लेकिन तभी यशपाल तोमर का नाम अचानक सुर्खियों में आया.
यशपाल सिंह तोमर पहली बार पुलिस के शिकंजे में आया
हरिद्वार में ज्वालापुर में अवैध तरीके से जमीन कब्जाने और धमकी के मामले में कांग्रेस नेता पारस कुमार जैन के बेटे तौष जैन ने डीजीपी से शिकायत की तो कोतवाली ज्वालापुर, उत्तराखंड में एफआईआर दर्ज की गई. उत्तराखंड की एसटीएफ ने यशपाल तोमर की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाने लगी, तभी मेरठ में एसएसपी प्रभाकर चौधरी को एक शिकायत मिली कि ब्रहमपुरी में इस कुख्यात ने फर्जी तरह से जानलेवा हमले कराए. इन्हीं दिनों यशपाल तोमर की मुश्किल बढ़ती गईं. 29 जनवरी 2022 को उत्तराखंड एसटीएफ ने जब यशपाल तोमर को गुरुग्राम से अरेस्ट किया तो पहली बार यह कुख्यात पुलिस के शिकंजे में आया.
यशपाल सिंह तोमर 5 अरब से ज्यादा कीमत की जमीन का बन गया मालिक
तमाम सिफारिश और पैसों का रसूख भी उसे जेल जाने से नहीं बचा सका. उत्तराखंड पुलिस और यूपी पुलिस ने जब जांच की तो पता चला है कि यशपाल तोमर यूपी और उत्तरखंड का सबसे बड़ा भू माफिया है, जिसकी संपत्ति की जांच के दौरान सामने आया कि हरिद्वार देहरादून, मेरठ, बागपत, नोएडा, दादरी और ग्रेटर नोएडा में 5 अरब से ज्यादा कीमत की जमीन यह फर्जी तरह से अलग अलग नामों पर बैनामा करा चुका है.
यशपाल सिंह तोमर गिरफ्तार न होता तो चुनाव लड़ने की थी तैयारी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में चुनाव लड़ने के लिए यशपाल तोमर ने पूरा जाल बिछा दिया था, जो पहले बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था. दूसरा विकल्प बागपत का रखा, लेकिन चुनावी प्रक्रिया शुरू ही हुई थी कि तभी उत्तराखंड राज्य की एसटीएफ ने 30 जनवरी 2022 को हरिद्वार की जेल में भेज दिया, जो अभी भी जेल में बंद है. यशपाल तोमर मौजूद समय में यूपी के सबसे बड़े भू- माफियाओं में घोषित नाम है. जिसके खिलाफ 20 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.
यशपाल सिंह तोमर साधारण किसान से लेकर अरबपति बनने तक
बागपत के रमाला थाना क्षेत्र के बरवाला गांव निवासी यशपाल तोमर पुत्र पुत्र महेंद्र साल 2010 तक एक साधारण किसान था. यशपाल बाद में नोएडा और देहादून में प्रोपर्टी का काम करने लगा. अपने आदमियों से हत्या, रंगदारी, जानलेवा हमला, और दुष्कर्म जैसे फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर लोगों की जमीन कब्जाता और उस जमीन का बैनामा अपने नौकर, अपने नाम और परिवार के नाम कराता. नोएडा में किराए पर रहने वाला यह कुख्यात दिल्ली के पड़पड़गंज में यूनेस्को अपार्टमेंट में रहने लगा, जिसने यहां आलीशान फ्लैट खरीदा, इससे भी जब्त किया जा चुका है. एक दशक में ही यशपाल तोमर हरिद्वार, देहादून और नोएडा में 500 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का मालिक बन गया.
हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक जब्त की गई संपत्ति
यशपाल तोमर नोएडा में चिटहेरा गांव में भूमि घोटाले का मुख्य आरोपी है. मेरठ मंडल के कमिश्नर सुरेंद्र सिंह के आदेश पर पुलिस ने इसके द्वारा कब्जाई गई भूमि की जांच की थी. 13 मई को 2022 को मेरठ पुलिस ने इसी कुख्यात की गैंगस्टर एक्ट में नोएडा के चिटहेरा में 100 करोड़ रुपये की भूमि को जब्त कर प्रशासन के सुपुर्द कर दिया. हरिद्वार पुलिस अलग अलग स्थानों पर 153 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त करा चुकी है. मेरठ के वेदव्यासपुरी में 2 करोड़ की कोठी को 7 जुलाई को जब्त किया गया. दिल्ली का फ्लैट भी जब्त किया चुका है, जिसकी अन्य संपत्ति और बैंक खातों की यूपी और उत्तराखंड पुलिस जांच कर रही है.
यशपाल तोमर के खौफ ऐसा कि कोई शिकायत नहीं करता था
यशपाल तोमर का साल 2000 में इस पर कार चोरी के फर्जी कागजात तैयार कराने में पहली बार नाम सामने आया था, लेकिन 2010 के बाद यह फर्जी मुकदमो की धमकी देकर और अपने गुर्गों का खौफ दिलाकर जमीन कब्जाने लगा. विवाद की जमीन को जबरन बैनामा कराकर उसे मोटी रकम में बेचना इसकी आदत हो चुकी थी. गांवों में लाव लश्कर के साथ बुलेट प्रूफ गाड़ी में चलने के कारण लोग इसकी शिकायत करने से भी डरने लगे. पता नहीं कब किसका अपहरण करा दे. अब जब जेल में बंद है तो वहीं पीड़ित पुलिस अफसरों को उसकी गोपनीय ढंग से हकीकत बता रहे हैं.
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