LDA Demolition Drive : लखनऊ/मयूर शुक्ला : उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां यूपी रेरा और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की मंजूरी के साथ एक इमारत बनाई गई थी. फ्लैट की रजिस्ट्री के साथ लोग रहने भी लगे लेकिन सोमवार को इसे गिरा दिया गया. बिल्डिंग ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को लेकर हजरतगंज में यजदान बिल्डर्स (Yazdan Builders) की  सोसायटी के बाशिंदों ने बवाल किया था. एलडीए अफसरों के पहुंचने पर फ्लैट खरीदारों ने बिल्डिंग से कूदने की धमकी तक दे डाली थी. इसको लेकर एलडीए के अफसरों और फ्लैट खरीदारों के बीच जमकर बहस हुई थी. लेकिन इस इमारत पर 14 नवंबर को आखिरकार बुलडोजर चला. 


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राजधानी लखनऊ के हजरतगंज याजदान बिल्डर्स की बिल्डिंग का ध्वस्तीकरण का काम किया गया है. बिल्डिंग के मालिक एसएम याजदान और तमाम आवंटी बिल्डिंग के बाहर जुटे थे. मालिक का कहना है 2016 में एलडीए ने इस बिल्डिंग को अप्रूव किया. यह बिल्डिंग रेरा से अप्रूव है और 36 लोगों ने अपनी रजिस्ट्री करा ली थी. लोगों को बिजली का कनेक्शन भी मिल गया थी.  6 साल से बिल्डिंग बन रही थी, तब अधिकारियों को इसके अवैध होने का याद नहीं आया, लेकिन अब एकाएक कल रात को पुलिस यहां पर पहुंची और यहां रह रहे 6 परिवारों को जबरदस्ती बाहर निकाल दिया गया.


इस पूरी बिल्डिंग में कुल 48 फ्लैट मौजूद थे. आंखों में आंसू लिए तमाम फ्लैट मालिकों का कहना है कि 36 घरों को बर्बाद करने से अच्छा था कि सरकार उनको जहर देकर मार देती. आखिर उनकी गलती क्या थी, उन्होंने जब फ्लैट खरीदा तो यह rera से मंजूर था. एलडीए से स्वीकृत था औऱ रजिस्ट्री भी हो गई तो अब उनको घर से बाहर क्यों किया गया. हालांकि मालिक का कहना है जब इस बिल्डिंग का काम शुरू हुआ तब उन्हें पता था कि यह नजूल की जमीन है, जिसका 25% शुल्क उन्होंने जमा कर दिया था. 2019 कोविड के  बाद से नजूल विभाग में काम नहीं हो रहा था. इसको लेकर वह लगातार चक्कर लगा रहे थे और समय भी मांगा था.


घर खरीदारों का कहना है कि वो पैसा जमा भी करना चाह रहे थे लेकिन जमा नहीं किया गया और अब एकाएक बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण का आदेश जारी कर दिया गया. लखनऊ विकास प्राधिकरण क्या वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि सोमवार को ध्वस्तीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा.