लखनऊ: कहते हैं दिल्ली की सत्ता का रास्ता देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है. इसका अंदाजा आप इस बात से आप लगा सकते हैं कि पीएम मोदी ने एक 2014 और 2019 में वाराणसी सीट को चुना. अगले साल 2024 के लोकसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर तमाम सियासी दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोक सभा सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए मंथन और सांसदों का रिपोर्ट कार्ड बनाना शुरू कर दिया है.


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यूपी से 80 सांसद चुनकर आते हैं
आपको बता दें कि लोक सभा में यूपी से 80 सांसद चुनकर आते हैं. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर तेजी से काम करने में जुट गई है. ऐसे में अब भाजपा स्क्रीनिंग कमिटी बनाने जा रही है, जो यह तय करेगी की किस सांसद को टिकट मिलना है या नहीं.


चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है भाजपा
दरअसल, लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसीलिए भाजपा ने स्क्रीनिंग कमिटी बनाने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. भाजपा इससे पहले भी कई बार विभिन्न राज्यों में नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की धार को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है.


कमेटी की कमान होगी सीनियर संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारी के हाथ
ऐसा करने से भारतीय जनता पार्टी को इसका लाभ भी मिला है. इसलिए भाजपा के टिकट पर एक ही सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले सांसद, खासतौर से ऐसे सांसद जो 2014 और 2019 का चुनाव एक ही क्षेत्र से जीते हैं, उन्हें 2024 में भी अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी लोकप्रियता साबित करनी होगी. वहीं, 2024 को लेकर यूपी बीजेपी में तीन स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी. इस स्क्रीनिंग कमेटी की कमान किसी सीनियर संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारी को ही दी जाएगी. ये कमेटी पूर्व में हुए सर्वे में सांसदों के काम का आकंलन करेगी.