Lucknow : लखनऊ की बबली वर्मा का खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हुआ चयन, स्टीपल चेज में दिखाएंगी दम
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, ये एक बहुत ही प्रेरणादायक कविता है जो दुष्यंत कुमार ने लिखी है लेकिन लखनऊ की बबली वर्मा पर सटीक बैठती है.
अजीत सिंह/लखनऊ: कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, ये एक बहुत ही प्रेरणादायक कविता है जो दुष्यंत कुमार ने लिखी है लेकिन लखनऊ की बबली वर्मा पर सटीक बैठती है. दरअसल एक किसान बेटी बबली वर्मा दुनिया जीतने का हौसला दिखा रही है। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी बबली वर्मा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में दम दिखाने को तैयार है. प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती, इसे साबित करते हुए गांव के छोटे से मैदान में कड़ा अभ्यास करने वाली लखनऊ की बबली वर्मा के लिए खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उसके एक बड़ा मंच साबित हो सकता है.
खेलो इंडिया में दिखाएंगी दम
बबली वर्मा इन खेलों में राममनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी अयोध्या की टीम से प्रतिभाग करेंगी. एमए प्रथम वर्ष की छात्रा बबली इन खेलों में 3000 मी.स्टीपल चेज में प्रतिभाग करेगी. उनके करियर की ये पहली बड़ी अग्नि परीक्षा होने जा रही है.
अपनी ट्रेनिंग के शुरुआती दिनों में बाराबंकी के अपने गांव से लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक का रोज बस से सफर तय करने वाली बबली वर्मा को अभी लंबा सफर तय करना है. मौजूदा वक्त में ऊटी में ट्रेनिंग कर रही बबली वर्मा को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में पदक जीतने का भरोसा है. इतना ही नहीं उनको उम्मीद है कि वो विभिन्न विश्वविद्यालयों के खिलाड़ियों के बीच प्रदर्शन की छाप छोड़ने में सफल होगी.
आसान नहीं था सफ़र
एशियन गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता, ओलंपियन स्टीपलचेजर एथलीट पद्मश्री सुधा सिंह को अपना आदर्श मानने वाली बबली के लिए यहां तक की राह आसान नहीं थी. बबली वर्मा ने बताया कि अभी उनकी शुरुआत है लेकिन उनका असली लक्ष्य भारत के लिए खेलना है. उनके गांव में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था लेकिन अपनी जिद्द, मेहनत और लगन से बबली वर्मा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स-2022 में पदक जीतने का दम भर रही है. उनके पिता बाराबंकी जिले के पोस्ट त्रिवेदीगंज के गांव रौनी निवासी दिनेश कुमार वर्मा पर तीन बहनों व चार भाईयों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी जो परिवार का खर्चा चलाने के लिए खेती करते थे.
मेहनत के बल हुआ चयन
बबली ने रायबरेली एक्सप्रेस सुधा सिंह के बारे में जब पढ़ा तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि मुझे एथलेटिक्स मे कॅरियर बनाना है. इसके बाद वो उसे लेकर साल 2021 केडी सिंह बाबू स्टेडियम पहुंचे. वहां, उनकी मुलाकात माहिर एथलेटिक्स कोच बीके बाजपेयी से हुई तो बबली ने कहा कि मेरे को सुधा दीदी की तरह 3000 मीटर स्टीपल चेज में कैरियर बनाना है. फिर उन्होंने उसकी प्रतिभा को पहचान कर उसकी ट्रेनिंग करानी शुरू की। इस प्रतिभाशाली एथलीट की लगन को आप ऐसे समझ सकते है कि ये ट्रेनिंग के लिए रोज बाराबंकी से लखनऊ तक का सफर तय करती थी.
पिता को ख़ुशी, आंखे हुई नम
वहीं उसके पिता दिनेश कुमार वर्मा व माता श्रीमती शांति देवी ने उनको पूरा प्रोत्साहन दिया जो अपनी सीमित आय में उसकी ट्रेनिंग का खर्चा वहन करते थे। इसके अलावा बबली विभिन्न टूर्नामेंटों से मिलने वाली पुरस्कार राशि से अपनी ट्रेनिंग का खर्चा उठाती है। बबली ने एक दिन पहले लखनऊ में आयोजित खेलो इंडिया के उपलक्ष्य में आयोजित 6 किमी.क्रास कंट्री में भी पहला स्थान हासिल किया था. बबली के प्रारंभिक कोच रहे बीके बाजपेयी ने बताया कि बबली एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी है और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अच्छा प्रदर्शन उसके लिए आगामी नेशनल चैंपियनशिप में अच्छे प्रदर्शन की सीढ़ी साबित होगा.
WATCH: देखें 22 से 28 मई तक का साप्ताहिक राशिफल, बनेंगे बिगड़े काम या मुश्किलें रहेंगी बरकरार