Uttarakhand News:बागेश्वर में फिर सामने आया लम्पी का कहर, पशुपालन विभाग ने उठाया ये बड़ा कदम
Uttarakhand News: पिछले साल देश के कई हिस्सों में लम्पी बीमारी का असर देखने को मिला था. इस जानलेवा बीमारी का कहर उत्तराखंड के बागेश्वर में एक बार फिर देखने को मिला है. यहां एक दर्जन से अधिक जानवरों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है.
योगेश नागरकोटी/बागेश्वर: जिले में लंपी स्किन डिजीज की चपेट में आने से मवेशियों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 17 हो गया है. वर्तमान में 430 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है. पशुपालन विभाग की टीम गांव गांव जाकर बीमार मवेशियों की जांच कर टीकाकरण भी किया जा रहा है. जिले में अब तक लंपी वायरस संक्रमण के 1428 मामले सामने आ चुके हैं. विभाग के सतर्क होने के बाद लंपी वायरस संक्रमण की रफ्तार कुछ कम हुई है, लेकिन अब भी ग्रामीण इलाकों में कई मवेशी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.
पशुओं में इन लक्षणों की अनदेखी न करें
प्रभारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ कमल पंत के मुताबिक जिले में लंपी वायरस तेजी से पैर पसार रहा है. सावधानी बरतने की जरूरत है. पशुपालकों को सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि बीमारी का लक्षण दिखने पर फौरन पशु चिकित्सक या विभाग को सूचित करना चाहिए ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके. लंपी वायरस के लक्षण में लगातार बुखार आना, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर चकत्ते जैसी गांठे बन जाना शामिल है. दानों के ठीक होने पर छाले जैसे निशान पड़ जाते हैं. पशुओं के नाक और मुंह से लार बहने लगती है. बुखार की चपेट में भी पशु आ जाते हैं.
यह भी पढ़ें: ड्रोन से होगी ताजमहल निगरानी, पलक झपकते ही एंटी ड्रोन सिस्टम करेगा ये काम
बीमारी के लक्षणों का पता चलते ही फौरन इलाज शुरू करने पर दो से चार दिन में पशु ठीक हो जाते हैं. लंपी वायरस पूरे बागेश्वर जिले में फैला है. स्वास्थ्य विभाग की टीम हर दिन प्रभावित गांवों में जा रही है. स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें और प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करने की अपील की है. इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 फीसदी होता है. समय पर यदि इसका उपचार शुरू हो जाए तो बीमारी पर रोकथाम लगाई जा सकती है.
WATCH: ग्रेटर नोए़डा यूनिवर्सिटी में छात्रा की हत्या के आरोपी का वीडियो आया सामने, हत्या और आत्महत्या की बताई वजह