ललित मोहन भट्ट/चंपावत: उत्तराखंड के चंपावत में टनकपुर स्थित ऐतिहासिक मां पूर्णागिरि मेला शनिवार यानी से शुरू हो गया है. मां के जयकारों के बीच आयुक्त कुमाऊं मंडल दीपक रावत ने ठुलीगाड़ प्रवेश द्वार पर फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया. यह मेला 90 दिनों (15 जून) तक चलेगा. 15 जून तक देश के विभिन्न प्रान्तों से दर्शनार्थी मां पूर्णागिरि के दर्शन को पहुचेंगे. जिसमें  शुभारंभ के दिन करीब 40 हजार भक्तों ने देवी मां पूर्णागिरि के दर्शन किए. 


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टनकपुर से पूर्णागिरि के लिए चलायी जाएंगी 10 बसें 
कमिश्नर ने कहा देश में सुप्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेले का शुभारंभ करना उनका सौभाग्य है. श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से यहां बेहतर सुविधाएं विकसित कराई गई हैं और आगे भी विकसित करने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीते 2 सालों में कोरोना वायरस के चलते मां पूर्णागिरि मेला कुछ दिन चलने के बाद बंद हो गया. इस समय स्थिति सामान्य है, ऐसे में लापरवाही कतई ना की जाए. आयुक्त ने आगे बताया कि इस बार भी रोडवेज टनकपुर से पूर्णागिरि के लिए 10 बसें चलायी जाएंगी.


स्नानघाटों पर विशेष नजर रखने के निर्देश 
वहीं, पुलिस अधीक्षक देवेंद्र सिंह पिंचा ने पूर्णागिरि मेला ड्यूटी में तैनात पुलिस अधिकारियों को मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कोरोना से संबंधित नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं से भी नियमों का पालन कराने, यातायात व्यवस्था सुचारू रखने, स्नानघाटों पर विशेष नजर रखने के लिए कहा. 


ये हैं मंदिर की मान्यता
मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि दक्ष प्रजापति ने एक बार यज्ञ का आयोजन किया. उसमें महादेव के अलावा सारे देवताओं को आमंत्रण भेजा गया. मां उमा पिता द्वारा पति महादेव का ये अपमान नहीं सह सकीं और यज्ञ कुंड में कूदकर प्राणों की आहुति दे दी थी. जैसे ही भगवान शिव को इस बात का पता चला वे क्रोधित हो गए. उन्होंने अपने गणों को दक्ष प्रजापति के यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया. भोलेनाथ, माता सती के शव को देखकर विलाप करने लगे. महादेव के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती पार्वती के शरीर के 64 टुकड़े कर दिये, जिन-जिन जगहों पर माता सती के शरीर का भाग गिरा, वहीं पर शक्ति पीठ स्थापित हुआ. माना जाता है कि पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर सती पार्वती की नाभि गिरी थी.


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