Madhumita Shukla and Amarmani Tripathi Love Story: उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी (Amar mani Tripathi ) और उनकी पत्‍नी मधुमणि त्रिपाठी  (Madhu mani Tripathi ) शुक्रवार को जेल से रिहा हो जाएंगे. लगभग 20 वर्षों से पति-पत्नी सलाखों के पीछे थे. बहुचर्चित कवयित्री मधुमिता शुक्‍ला हत्‍याकांड (Madhumita Shukla Murder Case) में उत्तराखंड की देहरादून सेशन कोर्ट ने दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने की सलाह दी थी, इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई का आदेश दिया था. 


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सलाखों के पीछे कैसे पहुंचा पूर्वांचल का रसूखदार नेता 
अमरमणि त्रिपाठी को पूर्वांचल के डॉन कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का राजनीतिक वारिस माना जाता है. वह छह बार विधायक रह चुके हैं. सरकार किसी भी रही हो, वे हर कैबिनेट का हिस्सा रहे. राजनीति में आने से पहले उनकी अपराध की दुनिया में एंट्री हो चुकी थी. उनके खिलाफ हत्या, लूट और मारपीट जैसे कई मुकदमे दर्ज थे. चंद समय में ही अमरमणि त्रिपाठी ने पूरे इलाके पर दबदबा कायम कर लिया था. आज हम आपको बताएंगे कि इतना रसूखदार दबंग नेता, जिसकी उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी आखिर वह सलाखों के पीछे कैसे पहुंच गया? 


मामला है 9 मई, 2003 का... राजधानी लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में मधुमिता शुक्‍ला नाम की 24 वर्षीय कवियत्री की गोली मारकर हत्‍या कर दी जाती है. पुलिस जांच-पड़ताल करती है. इसी बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट आती है, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा होता है. पता चलता है कि हत्या के वक्त मधुमिता 7 महीने की प्रेग्नेंट थीं. उनके पेट में बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का बच्चा पल रहा था. इस तरह हत्‍याकांड के बाद मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग का खुलासा होता है. जब यह घटना हुई उस समय उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी और अमरमणि कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे. हत्याकांड में अमरमणि का नाम सामने आते ही यूपी के सियासत में भूचाल आ गया. इस घटना ने अमरमणि की पूरी जिंदगी बदल दी. 


कौन थीं मधुमिता शुक्ला? 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मधुमिता शुक्‍ला यूपी के लखीमपुर खीरी की रहने वाली थीं. वह एक कवयित्री थीं. कवि सम्मेलनों में अपनी कविता गाकर उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई. उनकी कविताओं में मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े नेता निशाने पर होते थे. तेजतर्रार और बेबाक अंदाज के चलते वह 16-17 साल की उम्र में ही बहुत मशहूर हो गईं. धीरे-धीरे मधुमिता हिंदी कवि सम्‍मेलनों की शान बन गईं. बढ़ती प्रसिद्धी के साथ उनका बड़े-बड़े नेताओं, रसूखदार लोगों से मिलना-जुलना शुरू हो गया. इसी दौरान उनकी मुलाकात अमरमणि त्रिपाठी से हुई. उस समय अमरमणि यूपी की राजनीति में बड़ा नाम थे. खासकर पूर्वांचल में उनका दबदबा था. 


अमरमणि से शादी करना चाहती थीं मधुमिता
बताया जाता है कि मधुमिता अक्सर अमरमणि के घर जाती थीं. उनकी मां को मधुमिता की कविताएं बहुत पसंद थीं. मधुमिता के अमरमणि की मां और उनकी पत्नी से भी अच्छे संबध थे. धीरे-धीरे दोनों में नजदीकियां बढ़ती गईं और शादीशुदा अमरमणि 24 साल की कवयित्री पर अपना दिल हार बैठे. समय के साथ-साथ दोनों के रिश्ते के बारे में उनके परिवार वालों को भी पता चल गया. कहा जाता है कि मधुमिता, अमरमणि पर शादी का दबाव डाल रही थीं. 


यह बात जब अमरमणि की पत्नी मधुमणि को पता चली, जो उन्हें नागवार गुजरी. उन्होंने मधुमिता को कई दफे समझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मधुमिता शुक्ला का दो बार अबॉर्शन करा जा चुका था. तीसरी बार जब वो प्रेग्नेंट हुई, तो उन्होंने अबॉर्शन से मना कर दिया. वह इस बार बच्चे को जन्म देना चाहती थीं. ऐसे में मधुमिता शुक्ला की हत्या की साजिश रची गई. जिसके बाद 9 मई 2003 को लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में मधुमिता शुक्ला के घर में घुसकर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. 


मधुमिता के कमरे से मिले लेटर से हुआ था खुलासा
मधुमिता की हत्या प्रदेश में एक हाई प्रोफाइल मामला बन गया था. हत्याकांड की जांच-पड़ताल शुरू हुई, तो उसके तार बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी से जुड़ते नजर आए. पुलिस को एक ऐसा सुराग मिला, जिसने कद्दावर नेता अमरमणि का पूरा राजनीतिक जीवन चौपट कर दिया. 


दरअसल, जांच के दौरान पुलिस को मधुमिता के कमरे से एक लेटर मिला था, जिसमें उन्होंने लिखा था, "चार महीने से मैं मां बनने का सपना देखती रही हूं, तुम इस बच्चे को स्वीकार करने से मना कर सकते हो पर मैं नहीं, क्या मैं महीनों इसे अपनी कोख में रखकर हत्या कर दूं? तुमने सिर्फ मुझे उपभोग की वस्तु समझा है". इस लेटर के सामने आने के बाद चीजें साफ होने लगी. अमरमणि और मधुमिता के रिश्ते की बात सामने आई. इस बात से पर्दा उठते ही यूपी की सियासत में हड़कंप मच गया. 


इन पांच लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
अमरमणि और उनकी पत्नी पर मधुमिता की हत्या के आरोप लगे. कवियत्री के हाउस हेल्प देशराज के बयान के आधार पर दो शूटर प्रकाश पांडे, संतोष राय और अमरमणि के भतीजे रोहित चतुर्वेदी पर हत्या की साजिश का केस दर्ज हुआ. मधुमिता के परिवारवालों की मांग पर इस केस की जांच CBI को सौंप दी गई. एक के बाद एक सबूत मिलते गए और 7 महीने के अंदर ही देहरादून की एक अदालत ने पांचों आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई. सजा के खिलाफ बाहुबली नेता ने निचली अदालत के खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा. इस तरह मधुमिता हत्याकांड में दोषी करार होने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक करियर पूरी तरह से खत्म हो गया. 


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