प्रयागराज: महंत नरेन्द्र गिरी मौत मामले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है.  सीबीआई ने आनंद गिरी, संदीप तिवारी और आद्या तिवारी का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है. महंत की मौत का सच जानने के लिए सीबीआई तीनों आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट कराना चाहती है. बता दें कि फिलहाल तीनों आरोपी प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं. 


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महंत नरेंद्र गिरी मौत मामले में आज यानी मंगलवार को सुनवाई थी. कोर्ट में सीबीआई और आनंद गिरी के वकीलों ने बहस की. इस दौरान सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि महंत की मौत मामले का सच जानने के लिए तीनों का पॉलीग्राफी टेस्ट जरूरी है. जबकि आनंद गिरी के वकील ने इसका विरोध किया. वहीं, कोर्ट ने आज की सुनवाई के बाद 18 अक्टूबर को अगली तारीख लगाई है. 


क्या होता है पॉलीग्राफी या लाई डिटेक्टर टेस्ट?
पॉलीग्राफी या लाई डिटेक्टर टेस्ट किसी केस की जांच में सच का पता लगाने के लिए आरोपी का लाई डिटेक्टर टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट का मकसद यह जानना होता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. इसके लिए भी कोर्ट की अनुमति जरूरी है. पॉलीग्राफ एक मशीन है जिसमें व्यक्ति (जिसका पॉलीग्राफी टेस्ट किया जा रहा हो) से अटैच किए गए सेंसर्स से आ रहे सिग्नल (तरंगों) को एक मूविंग पेपर (ग्राफ) पर रिकॉर्ड किया जाता है. इस प्रक्रिया को पॉलीग्राफी टेस्ट कहते हैं. पॉलीग्राफ मशीन का इन्वेंशन 1921 में जॉन अगस्तस लार्सन (John Augustus Larson) ने किया था. जॉन ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से मेडिकल की पढ़ाई की थी और वे कैलिफोर्निया के बर्कले पुलिस स्टेशन में कार्यरत थे.


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20 सितंबर को हुई थी मौत 
बता दें कि महंत नरेंद्र गिरी की लाश 20 सितंबर को प्रयागराज स्थित बाघंबरी गद्दी मठ में पंखे से लटकते हुए मिली थी. उनके पास से एक कथित सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरी, लेटे हुए हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था. नरेंद्र गिरि ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से इन तीनों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की थी. वहीं, घटना के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. फिलहाल तीनों आरोपी जेल में हैं. 


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