Bihar Board Exam 2025: 25 लाख बच्चे अब बोर्ड तर्ज पर देंगे 5वीं और 8वीं की परीक्षा
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Bihar Board Exam 2025: 25 लाख बच्चे अब बोर्ड तर्ज पर देंगे 5वीं और 8वीं की परीक्षा

SSC MTS Result 2024: नो डिटेंशन पॉलिसी का मतलब था कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को 8वीं कक्षा तक किसी भी कक्षा में फेल नहीं किया जाता था. अब यह पॉलिसी खत्म कर दी गई है. इसका मतलब है कि अगर 5वीं से 8वीं कक्षा के बच्चे वार्षिक परीक्षा में फेल हो जाते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में भेजा नहीं जाएगा. हालांकि, उन्हें अपने प्रदर्शन सुधारने के लिए परीक्षा के दो महीने के अंदर दोबारा मौका मिलेगा.

 

Bihar Board Exam 2025: 25 लाख बच्चे अब बोर्ड तर्ज पर देंगे 5वीं और 8वीं की परीक्षा

Bihar Board Class 5th to 8th Exam 2025: बिहार में 5वीं और 8वीं कक्षा के करीब 25 लाख छात्रों के लिए इस साल की वार्षिक परीक्षा का पैटर्न पूरी तरह बदल गया है. अब ये परीक्षाएं बोर्ड की तर्ज पर होंगी. हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस संदर्भ में नई अधिसूचना जारी की है. इसके अनुसार 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को हटाने के बाद छात्रों को परीक्षा में पास होने के लिए प्रदर्शन बेहतर करना होगा. यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा.

क्या है नई नीति?
जानकारी के अनुसार पहले 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के तहत 8वीं तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाता था. लेकिन अब, यदि छात्र 5वीं और 8वीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा. हालांकि, छात्रों को अपनी प्रदर्शन सुधारने का एक और मौका मिलेगा. परीक्षा परिणाम घोषित होने के दो महीने के अंदर फिर से परीक्षा आयोजित की जाएगी. इसमें भी असफल होने पर छात्रों को उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा.

क्यों बदली गई यह नीति?
इस नीति का उद्देश्य बच्चों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना है. यह देखा गया था कि 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के कारण छात्र पढ़ाई में गंभीरता नहीं दिखा रहे थे. नई नीति लागू होने के बाद स्कूलों में पढ़ाई को लेकर अधिक जिम्मेदारी और अनुशासन होगा. शिक्षक व्यक्तिगत तौर पर कमजोर छात्रों पर ध्यान देंगे, उनकी प्रगति पर नजर रखेंगे और अभिभावकों का भी मार्गदर्शन करेंगे.

शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी
साथ ही नई नीति के तहत स्कूलों को छात्रों की प्रगति पर विशेष ध्यान देना होगा. फेल होने वाले छात्रों की सूची तैयार की जाएगी और उनकी पढ़ाई में सुधार के लिए खास रणनीतियां बनाई जाएंगी. शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। केवी कंकड़बाग के शिक्षक अरुण कुमार का कहना है कि अब छात्रों को पढ़ाई के प्रति गंभीर होना पड़ेगा.

नई नीति का प्रभाव
इस कदम से न केवल बच्चों की पढ़ाई में सुधार होगा, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी. यह नीति बच्चों को पढ़ाई में प्रेरित करेगी और उनकी प्रारंभिक शिक्षा को और मजबूत बनाएगी. अब हर राज्य में शैक्षिक गुणवत्ता का मूल्यांकन केंद्रीकृत तरीके से होगा.

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