अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद में भाभी की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शख्स को 16 साल से अधिक समय जेल में बिताने पर शासन ने सजा माफ कर दिया. जेल अधीक्षक ने बताया कि शासन के आदेश पर आजीवन कारावास के बंदी को रिहा कर दिया. जेल में सजा काटने के दौरान उसके अच्छे आचरण पर जेल प्रशासन ने फूल माला भी पहनाया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

घरेलू विवाद में अपनी भाभी की कर दी थी हत्या
सदर कोतवाली के धनेवा धनेई गांव के रहने वाला जगदीश गुप्ता जिसने 2006 में घरेलू विवाद में अपनी भाभी को चारपाई में बांध कर और जलाकर मार दिया था. इसके बाद केस दर्ज हुआ और दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने जगदीश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जगदीश गुप्ता जेल में 16 साल 20 दिन तक सजा काट चुका था. इसी बीच शासन ने कारागार में 16 साल से अधिक सजा काट चुके बंदियों की सूचना मांगी थी.


जिला कारागार महाराजगंज में जगदीश गुप्ता ही एक ऐसा बंदी था जो 16 साल से अधिक समय जेल में काट चुका था. जेल प्रशासन ने आजीवन कारावास के बंदी जगदीश गुप्ता की सूचना शासन को भेजा. मजदूर दिवस पर शासन ने जगदीश गुप्ता के आजीवन कारावास की सजा को माफ कर दिया. जिसके बाद उसकी रिहाई सुनिश्चित हुई.


जेल अधीक्षक प्रभात सिंह ने बताया कि शासन से आजीवन कारावास की सजा माफ होने पर सभी विधिक प्रक्रिया पूरी कराने के बाद शनिवार को जगदीश गुप्ता को रिहा कर दिया गया. इस मौके पर जेलर आदित्य कुकर, डिप्टी जेलर रंजीत कुमार, जेल वार्डन प्रकाश मिश्रा के अलावा विजय कुमार पांडेय, चित्रसेन सिंह आदि मौजूद रहे। जेल से रिहाई के समय बंदी जगदीश गुप्ता को माला पहना कर विदा किया गया 


घर से महज दो सौ मीटर दूर जेल में सजा काटने में गुजर गई जवानी
सदर कोतवाली के धनेवा धनेई गांव में ही जेल है। जगदीश गुप्ता नाम के बंदी को शासन के आदेश पर रिहा किया गया वह भी धनेवा धनेई का रहने वाला है. जेल से उसका घर महज दो सौ मीटर दूर था लेकिन वर्षों बाद वह रिहा हुआ. जेल के फाटक से बाहर आने पर उसकी आंख में आंसू आ गए. जब भाभी की हत्या के आरोप में उसको सजा सुनाई गई तब उसकी उम्र 43 साल के आसपास थी. लेकिन इसमें से 16 साल 20 दिन वह जेल के अंदर था.


स्थाई योजना के तहत जेल प्रशासन ने जगदीश गुप्ता के आजीवन कारावास की सजा को मजदूर दिवस पर माफ कर दिया था. शासन से आदेश जिला कारागार आने व रिहाई से जुड़ी विधिक प्रक्रिया को पूरी करने के बाद जगदीश गुप्ता 63 साल की उम्र में आजाद हुआ. उसने बताया कि जेल में बहुत कुछ सीखने की मिला. अब वह अपनी जिंदगी का शेष समय शांति पूर्वक बिताएगा.