कौशांबी: मजार पर दर्द भरी बेड़ियों से जकड़े हैं मानसिक रोगी, जिला प्रशासन खामोश
गांव में स्थित मजार पर हैरान कर देने वाला नजारा था, वहां कई मानसिक रोगियों के पैरों में लोहे की जंजीर थीं. उसमें एक नाबालिग किशोरी भी दिखी.....
कौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में मानसिक रूप से बीमार युवकों को जाली वाले बाबा के नाम से चर्चित मजार पर लोहे की मोटी जंजीर से जानवरों की तरह बांधा गया है. इनको किसी और ने नहीं बल्कि खुद परिजनों ने ही जंजीरों से जकड़ा है. परिजनों को लगता है कि इनके ऊपर किसी अदृश्य ताकत का साया है और मजार पर जंजीर से बांध देने से वो ठीक हो जाएगा.
बांस से होती है पिटाई
चायल तहसील के मिनहाजपुर गांव में कई युवक बेबसी की बेड़ियों से जकड़े हुए हैं. ये पैरों में लोहे की जंजीरों के साथ रात दिन यहां बंधे रहते हैं. चिलचिलाती धूप हो या फिर बरसात. ये मजार में बनी जाली से ही बंधे नजर आते हैं. इनको यहीं खाना-पानी दिया जाता है. अगर मानसिक रोगी उत्तेजित होता है तो बांस की कैन से उनकी पिटाई की जाती है. लगातार जंजीर से बंधे रहने पर इनके पैरों में सूजन आ गई है, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं. इतना सब कुछ परिजन इस उम्मीद पर सहते हैं कि उनके अपने यहां से ठीक हो कर घर जाएंगे. इस डिजिटल दौर में भी सब कुछ हो रहा है, लेकिन जिला प्रशासन है कि इस ओर देखना भी गवारा समझ रहा. अब इनको यहां से छुटकारा कौन दिलाएगा, यह बड़ा सवाल है.
क्या है कहानी?
मुख्यालय मंझनपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे बसा मिनहाजपुर गांव है. यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी सैयद शाह कबीर उद्दीनसोहर वर्दी की मजार है. गांव के ही रहने वाले और मजार की देखरेख करने वाले मोहम्मद परवेज बताते हैं कि 'मजार के बारे में तब पता चला जब प्रयागराज स्थित मुनव्वर शाह बाबा की मजार पर गांव के दो लड़के गए. उनके ऊपर जिन्नात आते थे. इन्हीं जिन्नातों ने बताया कि मिनहाजपुर जाओ. वहीं बीमारी दूर होगी. लड़के वापस गांव आए और यहां कूड़े का ढेर था. उसको हटवाया, साफ-सफाई कराई और यहां बैठने लगे. उनके ठीक होने के बाद बाबा ने बताया कि तुम्हारे गांव में इलाके के लोग देखने आएंगे और इतने आ जाएंगे कि तुम लोग संभाल नहीं पाओगे, और फिर वैसे ही हुआ. यहां पर मरीजो की भीड़ लगने लगी'.
ग्रामीण बोला- जब मालिक खोलेंगे तभी खुलेगी
पुरखास गांव के रहने वाले दशरथ के पैरों में भी लोहे की बेड़ी पड़ी है, लेकिन दशरथ अपने परिवार के लिए ऐसी हालत में भी खेत में काम करते दिखाई दिए. दशरथ फावड़े से खेत सुधार रहे थे. पत्नी विमला देवी भी थीं, जो दशरथ का साथ दे रही थीं जब उसकी पत्नी से पूछा गया कि इनको लोहे की जंजीरों में किसने जकड़ा है, तो उनका जवाब था कि कुछ दिन पहले ये मानसिक रूप से बीमार हो गए थे. इसके बाद मिनहाजपुर गांव मे बाबा के दरबार मे ताला लग गया है. और जब मालिक ताला खोलेंगे तभी यह खुलेगा. दशरथ ने बताया कि 'सिर्फ हम ही नहीं हैं. मिनहाजपुर गांव जाइये वहां पर दसियों लोगों को ताला लगा हुआ है'.
लोगों का मानना है कि अपने आप खुल जाती हैं बेड़ियां
गांव में स्थित मजार पर हैरान कर देने वाला नजारा था, वहां कई मानसिक रोगियों के पैरों में लोहे की जंजीर थीं. उसमें एक नाबालिग किशोरी भी दिखी.मजार पर मानसिक रोगियों को लेकर इलाकाई लोगों के अलावा दूर दराज से भी लोग आते हैं. यहां आने वाले लोगों ने प्लास्टिक की पन्नी और बांस की कैन से अस्थाई घर भी बना लिया है. प्रयागराज जनपद की रहने वाली राजकुमारी अपने मानसिक रूप से बीमार भाई को लेकर मजार पर आई ताकि भाई पर से शैतानी साया दूर हो जाए. अपने बच्चों को कमाकर खिला सके. लोगों ने बताया कि यहां मानसिक रोगी ठीक हो जाते हैं. यहां दिल से जो प्रर्थना करते हैं पूरी होती है, जो बेड़ियां लगी हैं वो अपने आप खुल जाती हैं.
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