Bhooton ka mela : 3 सौ साल पुराने भूतों के मेले में संतान प्राप्ति के लिए आते हैं लाखों लोग, जानिए क्या है मान्यता
कोरोना संक्रमण के चलते दो साल बाद मीरजापुर में लगा बेचू बीर बाबा का मेला. दूसरे दिन गुरुवार को 5 लाख भक्त दर्शन करने पहुंचे.
राजेश मिश्र/मीरजापुर : मीरजापुर के अहरौरा क्षेत्र में बेचू बीर बाबा मेले की शुरुआत हो चुकी है. कोरोना संक्रमण के चलते दो साल तक मेले का आयोजन नहीं हुआ था. मेले के दूसरे दिन गुरुवार को करीब 5 लाख भक्तों ने दर्शन पूजन किया. करीब 300 वर्षों से चली आ रही परंपरा और आस्था के बीच भक्तों ने दर्शन पूजन किया. मान्यता है कि बाबा के धाम में भूत प्रेत से मुक्ति और संतान की मन्नत से आने वालों की इच्छा पूरी होती हैं. इसीलिए इसे भूतों का मेला भी कहा जाता है.
दूर-दराज से आते हैं लोग
मेले में पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर आसपास जिले के ही नहीं सुदूर दक्षिण भारत के लोग भी यहां खिंचे चले आते हैं. भूत-प्रेत निवारण के लिए प्रसिद्ध बेचू बीर धाम की कथा आज भी लोगों को सुनाई जाती है. आस्था के साथ जिले के अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, बनारस, इलाहाबाद के साथ ही दक्षिण भारत से दर्शनार्थियों का हुजूम उमड़ता है.
दो जोन और 4 सेक्टर में बंटा मेला क्षेत्र
भीड़ को देखते हुए मेला क्षेत्र को दो जोन और 4 सेक्टर में बांटा गया है. मेले में सुरक्षा के लिए व्यापक पुलिस बल की तैनाती की गई है. लोगों का कहना है कि आधुनिकता के बीच विज्ञान के लिए चुनौती देता आ रहा है बेचू बीर का मेला. प्रेत बाधा भले ही लाइलाज है, लेकिन बाबा के धाम में आने वाले तमाम भक्त भूत-प्रेत से मुक्ति के लिए धाम में आते हैं.
हर साल बढ़ता जा रहा भक्तों का काफिला
महिलाएं ठंड की परवाह किए बिना नदी में स्नान करती हैं. इसके बाद चौरी क्षेत्र में बैठ जाती हैं. मनरी बजने के साथ ही माहौल काफी रहस्यमयी हो जाता है. ऊपरी बाधा से ग्रसित इंसान की भाव भंगिमा बदल जाती है. करीब तीन किलोमीटर के दायरे में लगने वाले मेले में आम और खास सभी जुटते हैं. मन्नत पूरी होने पर भक्तों का काफिला हर बार बढ़ता जा रहा है.