Wrestlers protest : प्रर्दशनकारी पहलवानों और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच बुधवार को बैठक हुई. बैठक में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ पहलवान बजरंगपुनिया और साक्षी मलिक के साथ कोच भी मौजूद थे. पहलवानों के आंदोलन का तीसरा बड़ा चेहरा विनेश फोगाट इस बैठक में नहीं दिखीं. चार दिन पहले शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में भी विनेश मौजूद नहीं थी. बजरंग ने कहा कि विनेश की कोई नाराजगी नहीं है. केंद्र सरकार ने संकेत दे दिया है कि वो पहलवानों के मुद्दे को किसान आंदोलन की तरह ऐसे हालात में नहीं पहुंचाना चाहती, जहां वो हाथ से निकल जाए और विपक्षी दल इसका फायदा उठाना शुरू कर दें. 


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बैठक में जिन मुख्य मुद्दों पर बात हुई उसमें पहलवानों पर 28 मई को हुई FIR को वापस लेने का भी जिक्र किया गया है. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ चली पहलवानों की बैठक में इन बिन्‍दुओं पर बातचीत हुई. आरोपों की जांच 15 जून तक की जाए. WFI के चुनाव 30 जून तक हो. महिला रेशलिंग फेडरेशन की अध्यक्षता करें. कमेटी में दो कोच रखें जाए. फेडरेशन चुनाव में अच्छे पदाधिकारी चुन कर आएं. बृजभूषण शरण सिंह और उनसे सम्बंधित लोग फेडरेशन के चुनाव में ना हों.  28 मई को जो FIR खिलाड़ियों पर हुई है उसे वापस लिया जाए.15 जून तक आंदोलन न हो. 


अनुराग ठाकुर ने दिया था न्योता


खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी पहलवानों को बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया था. इससे पहले प्रदर्शनकारी पहलवान गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी को इसी महीने अमेरिका जाना है. सूत्रों के अनुसार, सरकार चाहती है कि इससे पहले पहलवानों का विवाद खत्म हो जाए. इससे पहले जनवरी में भी खेल मंत्री से पहलवानों की बातचीत हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारी पहलवान जल्दी ही सरकार से बातचीत शुरू करेंगे.


विवाद लंबा खिंचने से नुकसान
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी को भी लगता है कि विवाद लंबा खिंचने से नुकसान हो रहा है. किसान आंदोलन की तरह इस विवाद से बीजेपी को जाट वोटों की नाराजगी का डर भी सता रहा है. उसे लगता है कि ये सन्देश फैलाया जा रहा है कि बीजेपी अपने सांसद का बचाव कर रही है. जबकि पार्टी इस मसले पर किसी पक्ष में दिखना नही चाहती. पुलिस और कोर्ट ही इस बारे में जो उचित हो, वो कार्रवाई करे. इस विवाद में खापों के कूदने से भी पार्टी की परेशानी बढ़ गई है. किसान आंदोलन की कड़वी यादें ताजा हो गईं.


पहलवानों को घसीटे जाने की तस्वीरें आईं
माना जा रहा है कि 28 मई को जिस तरह पहलवानों को घसीटे जाने की तस्वीरें आईं, उससे नुकसान हुआ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन तस्वीरों का व्यापक प्रचार प्रसार हुआ. इससे भारत की छवि को धक्का लगा है. विवाद की वजह से महिला विरोधी करार देने की विपक्षी दलों की कोशिश जारी है. उससे भी पार पाने के लिए इस विवाद का जल्द हल निकालना जरूरी हो गया है.


बीजेपी की दो महिला सांसदों ने सार्वजनिक बयान भी दिए हैं पहलवानों के पक्ष में, इसीलिये सरकार चाहती है कि जल्द हो इसका समाधान. इस बीच ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगे आरोपों पर दिल्ली पुलिस की जांच भी अंतिम चरण में है. पुलिस जल्द अपना स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को देने वाली है.


राकेश टिकैत ने बोला हमला
भारतीय किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर अंदेशा जताया है.टिकैत ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, नौकरी पर जाना कोई अपराध नहीं , उन्होंने कहा है हम मूवमेंट से पीछे नहीं है. हो सकता है वो एक जगह धरने पर न बैठें, हो सकता है उनकी पोस्टिंग यहां से कही दूसरी जगह कर दें. ऐसी जगह ड्यूटी लगा दें की 24 घंटे ड्यूटी पर रहेंगे, नही रहेंगे तो गैरहाजिर रहेंगे तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही कार्यवाही हो सकती है. सरकार प्रेशर बनाने के सारे काम करेगी लेकिन उन्होंने फिर भी कहा है की हम पीछे नहीं है.बेटियां सबकी बेटियां है तिरंगे की बेटियां हैं.