लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साहूकारी अधिनियम खत्म होगा. सरकार उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1976 को समाप्त करने की तैयारी में है. यदि ऐसा होता है तो राज्य में साहूकारी के नए लाइसेंस जारी नहीं हो सकेंगे. यही नहीं पुराने लाइसेंस का भी नवीनीकरण नहीं होगा. योगी सरकार 36 विधेयकों को समाप्त करने के लिए उप्र निरसन विधेयक पेश करने जा रही है. इससे पास होते ही राज्य में अनुपयोगी हो चुके 36 अधिनियम समाप्त हो जाएंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कई पुराने विधेयक समाप्त होंगे


इन 36 अधिनियमों में पांच मूल अधिनियम और 31 संशोधन अधिनियम हैं. उप्र साहूकारी अधिनियम भी इन विधेयकों में शामिल है. मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में बीती 24 जून को हुई उच्च स्तरीय बैठक में उप्र साहूकारी अधिनियम को खत्म करने के बारे में निर्णय हुआ था. बैठक में सहमति बनी थी कि वित्तीय समावेशन के तहत गांव-गिरांव तक बैंकों की पहुंच और लोगों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण की सुलभता के कारण अब यह अधिनियम अनुपयोगी और अप्रासंगिक हो गया है. 


बंद होगा भोले-भाले लोगों का शोषण


वहीं साहूकार ऊंची ब्याज दर पर कर्ज देने के साथ उसकी वसूली के लिए लोगों का शोषण भी करते हैं. इसलिए साहूकारी अधिनियम को निरस्त करना उचित होगा. शासन स्तर पर हुए इस निर्णय के क्रम में राजस्व विभाग ने उप्र साहूकारी अधिनियम को निरसित करने का प्रस्ताव विधायी विभाग को भेजा था. 


यह भी पढ़ें: Uttarakhand:देह व्यापार का केंद्र न बनें स्पा सेंटर , रजिस्ट्रेशन और मॉनिटरिंग के नियम बनेंगे


दरअसल साहूकार ऊंची ब्याज दर पर कर्ज बांटने के साथ ऊसकी वसूली के लिए लोगों का आर्थिक शोषण करते हैं. कई बार लोगों के साथ मारपीट भी की जाती है. सरकार ऐसी शिकायतों को देखते हुए साहूकारी अधिनियम को निरस्त करना चाहती है. आज जिस तरह बैंकिंग सेवाओं का विस्तार हो चुका है, ऐसे में साहूकार व्यवस्था अब प्रासंगिक नहीं रह गई है.


WATCH: योगी सरकार दो गैस सिलेंडर देगी मुफ्त, जानें कब मिलेगा पहला फ्री सिलेंडर