सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में अवैध नर्सिंग होम में नवजात शिशु और प्रसूता की मौत का मामला सामने आया है. हैरानी वाली बात ये है की अवैध नर्सिंग होम को 10 दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ ने नर्सिंग होम को सील कर संचालक के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया था. लेकिन नर्सिंग होम का संचालक सील नर्सिंग होम में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत से चोरी छिपे लोगों का इलाज कर रहा था. नवजात और प्रसूता महिला की मौत के मामले के बाद अवैध नर्सिंग होम संचालक स्टाफ सहित फरार है.


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यहां का है पूरा मामला
ब्लड चढ़ाने के दौरान महिला की मौत

ये पूरा मामला,संभल जिले के असमोली थाना क्षेत्र के सम्राट नर्सिंग होम का है. यहीं के रहने वाले शाहरूख ने अपनी गर्भवती पत्नी शाइस्ता को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था. महिला की डिलीवरी के बाद पैदा हुए नवजात बच्चे की एक घंटे बाद मौत हो गई थी. शाहरुख का परिवार मृतक बच्चे को दफन करके अस्पताल पहुंचा तो नर्सिंग होम संचालक ने शाइस्ता के शरीर में ब्लड की कमी बताते हुए खून की व्यवस्था करने को कहा. शाहरुख ने ब्लड लाकर दिया. खून चढ़ाए जाने के दौरान शाइस्ता की भी मौत हो गई. नवजात बच्चे की मौत के बाद प्रसूता की भी मौत होने पर मृतक महिला के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा देख नर्सिंग होम संचालक स्टाफ सहित अस्पताल से भाग गए.


अवैध नर्सिंग होम में किया जा रहा था इलाज
हैरानी की वात ये है की स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ संतोष गंगवार ने 10 दिन पूर्व नर्सिंग होम को अवैध संचालन के आरोप में सील किया था.अवैध नर्सिंग होम संचालक के खिलाफ असमोली थाने में केस भी दर्ज कराया. लेकिन इसके बावजूद सील किए गए अवैध नर्सिंग होम में मरीजों का इलाज और गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराई जा रही थी.


जारी हुए थे अवैध अस्पताल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश
दरअसल संभल जिले में अवैध अस्पतालों पर शिकंजा कसे जाने के लिए जिलाधिकारी द्वारा जारी की गई आदेश के स्वास्थ्य विभाग के अफसर जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं. जनपद के जिलाधिकारी मनीष बंसल ने जिले में अवैध हॉस्पिटल पर शिकंजा कसे जाने के लिए तीन महीने पहले स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी संबंधित तहसील के एसडीएम और सीओ की टीम का गठन कर अवैध अस्पताल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए थे. डीएम मनीष बंसल ने अवैध नर्सिंग होम संचालकों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज कराए जाने के निर्देश भी दिए.  गठित नोडल अधिकारी और उनकी टीम पर अवैध अस्पताल संचालकों से मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं.


स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी तहसील के एसडीएम और सीओ को बिना जानकारी दिए अवैध अस्पतालों पर छापेमारी कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है की नोडल अधिकारी द्वारा जिन अवैध अस्पतालों को सील किया जाता है, उन्हें 2 दिन बाद ही चोरी छिपे खोलकर मरीजों का इलाज शुरू कर दिया जाता है. सील नर्सिंग होम को चोरी-छिपे खोले जाने की जानकारी के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम अनजान बनी रहती है जिसका खामियाजा प्रसूता महिलाओं और मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.


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