अक्षत  शर्मा/ मुरादाबाद :  Abdullah Azam :अब्दुल्ला आजम की अपील मामले में स्टे ख़ारिज मुरादाबाद की एडीजे 2 की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई अब्दुल्लाह आज़म के वकील ने अब्दुल्लाह आज़म की कम उम्र और उन्हें निर्दोष बताते हुए निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सजा को स्टे करने व दोषसिद्धि को स्टे करने की अपील जिला जज की अदालत में की है. इसके बाद केस को जिला जज ने एडीजे 2 की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. सजा के खिलाफ अपील में अगली तारीख 15 मार्च तय की गई है. 


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सजा के खिलाफ अपील मे लगी 15 मार्च की अगली तारीख तय की गई है. दरअसल 2008 के मुरादाबाद के छजलेट थाना क्षेत्र मे जाम लगाने के मामले मे मुरादाबाद की एसीज़ेएम 4 एमपी / एमएलए कोर्ट ने 13 फरवरी को सपा नेता आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी मानते हुए 2-2 साल की सजा और 3-3 हजार का जुर्माना लगाया था.इसकी वजह से अब्दुल्ला आज़म जो कि रामपुर के स्वार सीट से विधायक थे, उनकी विधायकी चली गई थी.


इसके बाद अब्दुल्ला आज़म की तरफ से मुरादाबाद की जिला जज की कोर्ट मे सजा को गलत बताते हुए अपील डाली गई थी और साथ ही सजा पर स्टे लगाने का भी प्रार्थना पत्र दिया गया था. इसके चलते उनको उम्मीद थी कि शायद तब तक उनकी विधायकी बची रहे. अपील और स्टे को उस समय जिला जज की कोर्ट ने मुरादाबाद के अपर जिला जज 2 स्पेशल एमपी / एमएलए कोर्ट मे ट्रांसफर कर दिया था.इस पूरे मामले मे 27 फरवरी को अपर जिला जज 2 की कोर्ट मे दोनों पक्षो की तरफ से बहस की गई, बहस के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख फैसले के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की.


इस मामले मे मुरादाबाद की अपर जिला जज 2 की स्पेशल एमपी / एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अब्दुल्ला आजम की स्टे वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया. वहीं सजा के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई के लिए 15 मार्च की डेट लगाई गई है.पूरे मामले के संबंध मे Zee मीडिया से बात करते हुए विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल विश्नोई ने बताया की थाना छजलेट का मामला था. इसमें इनके द्वारा जाम लगाया गया था. उससे संबंधित मामले में इनको दोष सिद्ध पाया गया था.


इसमें आज़म खान और अब्दुल्लाह आज़म को 2-2 वर्ष की सजा सुनाई गई थी. उनके खिलाफ ये अपील मे आए थे, जिस दो वर्ष की सजा की वजह से इनकी विधायकी चली गई थी. उस पर इन्होंने स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था कि सजा को स्थगित कर दिया जाए. इसमें काफी लंबी बहस चली. इसमें जो आदेश पारित किया गया है , उसमें इनका स्थगन प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया है.


अब्दुल्ला कि तरह से अपील में मुद्दा रखा गया कि हम उस समय वहां मौजूद नहीं थे जबकि उनके द्वारा जो डिफेंस मे गवाह पेश किया गया था, उसने भी कहा  था कि वो मौजूद थे.उनका कहना है कि अब्दुल्ला आज़म की जो विधायकी गई थी वो आदेश बरकरार रहेगा.