Utpanna Ekadashi Paran Muhurat: उत्पन्ना एकादशी के व्रत के बाद पारण का बहुत ही महत्व होता है. ऐसे में क्या खाकर पारण किया जाता है हम आपको बता रहे हैं.
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Utpanna Ekadashi Paran Muhurat: आज उत्पन्ना एकादशी का व्रत है. हिंदू धर्म में इस व्रत का खास और बहुत ही महत्वपूर्ण महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और एकादशी देवी की पूजा की जाती है. ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनवांछित फल देते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के पूजा में पीले रंग के वस्त्र का प्रयोग किया जाता है. वहीं इसके अलावा भगवान विष्णु को पीले फूल, पीले फल और पीली मिठाईयां चढ़ाई जाती है.
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
आज होने वाले एकादशी यानि कि उत्पन्ना एकादशी का महत्व इतना है कि अगर कोई भी व्यक्ति एकदशी की शुरुआत करना चाहता है तो इसकी भी शुरुआत आज से ही की जाती है. इस पावन व्रत पर होने वाले पूजा से जगत के पालनहार भगवान विष्णु बहुत ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं.
विधि-विधान के साथ करें पूजा
व्रत के दौरान विधि-विधान के साथ भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. दिन और रात के व्रत के बाद अगले दिन इस पूजा का समापन होता है. जिसे पारण कहते हैं. इस साल उत्तपन्ना एकादशी व्रत का पारण 27 नवंबर दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 18 मिनट तक कर सकते हैं.
व्रत का पारण कैसे करें
अब ऐसे में यह भी मामला सामने आता है कि आखिर उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण कैसे करें. पारण के लिए तुलसी दल से करना सबसे उत्तम माना जाता है. भगवान विष्णु को भोग लगाने के बाद तुलसी दल का सेवन करें. इसके बाद फलाहार करते हुए व्रत का पारण करें. इसके अलावा व्रती की ओर से व्रत को खोलने के लिए भगवान विष्णु को अर्पित किए गए फल एवं प्रसाद को ग्रहण करते हुए पारण कर सकते हैं. पारण का मुहूर्त 27 नवंबर के दिन दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 18 मिनट तक का है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)