लखनऊ: बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. नकवी के साथ जेडीयू कोटे से मंत्री रहे आरसीपी सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) ने कैबिनेट की बैठक में बुधवार को ही मुख्तार अब्बास नकवी और आरसीपी सिंह की तारीफ की थी. सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी ने कहा कि आपने देश के विकास में योगदान दिया है. 7 जुलाई को दोनों नेताओं का राज्यसभा सांसद के तौर पर मौजूदा कार्यकाल समाप्त हो रहा है. 


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लगाए जा रहे हैं कयास


कैबिनेट की बैठक के बाद नकवी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा (jai prakash nadda) से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं में क्या और किस मुद्दे पर बात हुई इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया. लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस दौरान नकवी की भावी भूमिका को लेकर चर्चा हुई. नकवी की गिनती बीजेपी के प्रोग्रेसिव मुस्लिम नेताओं में होती है. दरअसल उनके उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा कई कारणों से है. पहला नकवी का राज्यसभा कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भी उनको उम्मीदवार नहीं बनाया गया था. जबकि दूसरा रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी उनको उम्मीदवार बनाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत का श्रेय भी मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक प्रबंधन को दिया जाता है. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि नकवी को बीजेपी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है.


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नकवी मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और राज्यसभा सदस्य रहे हैं. उनका जन्म 15 अक्टूबर 1957 को इलाहबाद में हुआ था. उनके राजनैतिक करियर की शुरुआत 1975 में हुई थी. वह 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे. वहीं, साल 1998 में वह रामपुर लोकसभा सीट से सांसद बने. इसके अलावा वह मोदी  2014 में  केंद्रीय राज्यमंत्री और 2016 में कैबिनटे मंत्री बने थे. इसके बाद 2019 में एक बार फिर मोदी कैबिनेट में उनको अल्पसंख्यक मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 


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