UP News: अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके अपराधों से भरे साम्राज्य का क्या हुआ यह पूरे देश ने देखा. पूरा परिवार ही तहस-नहस हो गया. पहले बेटे असद का एनकाउंटर (Asad Encounter) फिर खुद अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या (Atique Ashraf murder). अब पुलिस अतीक की पत्नी शाइस्ता के तलाश में हैं. 

 

योगी सरकार के द्वारा माफियाओं के विरुद्ध उठाए गए कदम से क्राइम की दुनिया में जैसे तहलका मच गया है. सीएम के राडार पर 60 से अधिक माफिया हैं और उनमें मुख्तार अंसारी का नाम भी शामिल है. यूपी (UP) का यह  बाहुबली भी सहमा हुआ सा प्रतीत होता है. ऐसे में आइए जानते है मुख्तार इंसारी की क्राइम हिस्ट्री को पूरे विस्तार से ताकि समझ सकें कि आखिर क्यों माफियाओं पर हो रही कार्रवाई से मुख्तार का कुनबा सहमा हुआ है. 

 

कितने केस दर्ज किए गए हैं? 

माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के खिलाफ अब तक 59 केस दर्ज किए जा चुके हैं. पिछले साल ही एक मामले में मुख्तार अंसारी को सात साल जेल की सजा  सुनाई गई है. तब बीते 34 सालों में पहली दफा ऐसा हुआ था कि माफिया पर सजा तय की गई थी. जितने भी केस हैं उनमें ज्यादातर गाजीपुर (Ghazipur) जिले में ही दर्ज करवाए गए हैं. मुख्तार के खिलाफ नौ नौ केस मऊ और वाराणसी में भी दर्ज हैं और लखनऊ में उस पर 7 केस दर्ज किए गए हैं. आमलमबाग में एक केस जो दर्ज है उसी मामले में मुख्तार को 7 साल की सजा सुनाई गई है. 

 

राजनीतिक से क्राइम तक का सफर

मुख्तार अंसारी का राजनीतिक 1996 में शुरू हुआ तब पहली बार उसने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता भी. 2017 तक मुख्तार लगातार पांच दफा जीतकर विधायक भी बना. मुख्तार ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को अपनी सीट दे दी. जबकि पहली बार साल 1988 में मंडी परिषद की ठेकेदारी के संबंध में लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय के मर्डर के केस में मुख्तार का नाम आया. फिर त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह के मर्डर का आरोप भी उस पर लगाया गया. 

 

एएसपी पर हमला करने का आरोप 

मुख्तार पहली दफा 1991 में पुलिस ने मुख्तार को गिरफ्तार कर लिया लेकिन जब पुलिस उसे ले जा रही थी तभी वो फरार हो गया. और तो और दो पुलिसकर्मी भी मार दिए गए. 1996 में एएसपी उदयशंकर पर जानलेवा हमला किया गया और इस हमले का आरोपी कोई और नहीं बल्कि मुख्तार अंसारी को ही बनाया गया. 

 

मकोका और गैंगस्टर एक्ट 

मकोका और गैंगस्टर जैसे एक्ट के तहत मुख्तार अंसारी खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं. घटना है साल 1997 की जब पूर्वांचल के एक कोयला व्यवसाई को अगवा कर लिया गया और इस मामले में भी मुख्तार को ही आरोपी बनाया गया. इस घटना के बाद कृष्णानंद राय को 2002 में बीजेपी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दे दिया और वो जी भी गए. 

 

मुख्तार अंसारी की हार 

7 साल बाद कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार से उसकी जमी जमाई सीट छीन ली. मुख्तार का बड़ा भाई अफजाल अंसारी चुनाव हार गए थे. इस हार के तीन साल के बाद कृष्णानंद राय का मर्डर कर दिया गया. हलांकि बीजेपी के साल 2017 में सत्ता में आने के बाज मुख्तार के उल्टे दिन शुरू हो गए. 

 

जान को खतरा

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रशासन की ओर कई तरह के एक्शन लिए गए हैं.  मऊ, गाजीपुर समेत लखनऊ में उसकी 400 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति ध्वस्त की गई है और जब्त भी की गई है. हलांकि उसे अपनी जान जाने का इतना भय है कि कई बार वह अपनी जान को खतरा बता चुका है. हाल के सालों में वह राष्ट्रपति से अपनी जान बचाने तक की गुहार लगा चुका है. 

 

मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उसका भाई अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) जोकि बीएसपी सांसद है इसके लिए आज का दिन बड़ा है. गाजीपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में गैंगस्टर के मामले में  आज निरर्णय आने वाला है. अब अगर 2 साल से ज्यादा की सजा अफजाल को होती है तो उसकी संसदीय सदस्यता रद्द हो सकती है. 

 



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