अतुल सक्सेना/मैनपुरी: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh) की हालत नाजुक बनी हुई है. पहलवानी का अखाड़ा हो या राजनीति का मैदान मुलायम सिंह अपने प्रतिद्वंदियों को पटखनी देने में माहिर रहे हैं. आज आपको बताते हैं, उनसे जुड़ा वो किस्सा जिसकी वजह से वह सियासत में चमक बिखेरने में कामयाब हुए.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अपने से दोगुने पहलवान को किया चित
इन दिनों नेताजी की तबीयत खराब है. उनके शीघ्र स्वस्थ होने लिए लोग दुआएं कर रहे हैं, उनका इलाज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा है. जहां विशेषज्ञों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है. मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह यादव के बेटे और नेताजी के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्व मंत्री सुभाष चंद्र यादव ने उनके पहलवानी काल से लेकर राजनीतिक जीवन तक के सफर को ज़ी मीडिया से बात करते हुए बयां किया है. उन्होंने बताया कि मुलायम बचपन से ही पहलवानी का शौक रखते थे, इसी दौरान कुश्ती के समय उन्होंने अपने से दोगुने पहलवान को पटखनी लगा दी और यहीं से मुलायम का सितारा बुलंद होता चला गया. 


मुलायम की प्रतिभा के कायल हुए नत्थू सिंह
मुलायम के करीबी पूर्व मंत्री सुभाष चंद्र के अनुसार बात 1965 की है. जब जनपद इटावा के नगला अमर में हुई कुश्ती ने मुलायम सिंह यादव के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला दिया. नगला अमर की कुश्ती में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे विधायक जसवंतनगर नत्थू सिंह यादव ने मुलायम सिंह को पहली बार देखा और इसी दौरान मुलायम सिंह ने अपने से दोगुने पहलवान को पटखनी दे दी. यहीं से नत्थू सिंह यादव ने मुलायम सिंह को अपने साथ कार में बैठा लिया और अपनी जनसभा में ले गए जहां मुलायम ने अच्छा भाषण भी दिया. 


गुरु ने मुलायम के लिए छोड़ दी सीट, भारी बहुमत से जीतकर विधायक बने 'नेताजी'
इसके बाद मुलायम के गुरु नत्थू सिंह अन्य जनसभाओं में मुलायम को साथ ले जाने लगे. इसके बाद मुलायम ने कभी पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. 1967 में नत्थू सिंह यादव ने अपनी जसवंतनगर की सीट से मुलायम सिंह यादव को विधानसभा का चुनाव लड़ा दिया और मुलायम सिंह यादव ने पहले विधानसभा चुनाव में ही भारी जीत दर्ज कराई.


कुछ ऐसा रहा नेताजी का राजनीतिक सफर
साल 1967 में जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले मुलायम ने विधायकी से लेकर रक्षामंत्री तक का सफर तय किया. 1967,74, 77, 85, 89 में वह विधानसभा के सदस्य रहे. इसके बाद 1982-85 में वह विधानपरिषद के सदस्य रहे. 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया.