अंकित मित्तल/मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर में एक बेजुबान पहाड़ी हिरण की जान आफत में पड़ गई. ये तब हुआ जब कुत्तों से बचने के चक्कर में हिरण बेहड़ा अस्सा गांव में घुस गया. ग्रामीणों ने कुत्तों से तो उसे बचा लिया, लेकिन सूचना पर रक्षक बनकर आए वन विभाग के कर्मचारी ही उसकी जान के दुश्मन बन बैठे. खाली हाथ गांव पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों की करतूत ने हिरण को बुरी तरह से घायल कर लहूलुहान कर दिया. मौके पर भीड़ और वन कर्मियों की जानलेवा लापरवाही से हिरण इस कदर डर गया कि वो बुरी तरह से छटपटाते हुए तेज आवाज निकालने लगा.


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हालांकि, बाद में ग्रामीणों की मदद से उसे किसी तरह उसपर काबू पाया गया. एक बोगी में डालकर जंगल ले जाया गया, जहां वन विभाग के कर्मचारियों ने बिना किसी उपचार के ही उसे छोड़ दिया. इस दौरान ग्रामीणों और बच्चों की भीड़ बोगी के पीछे-पीछे चलती रही. आइए बताते है पूरा मामला.


दरअसल, ये पूरा मामला जानसठ तहसील के सिखेड़ा थाना इलाके के बेहड़ा अस्सा गांव का है. गन्नों और गेहूं की फसल की कटाई की वजह से जंगलों में अब वन्य जीवों के छिपने की जगह नहीं बची है. शायद ये ही वजह है कि रविवार की सुबह एक पहाड़ी हिरण भटकते हुए इस गांव में जा पहुंचा तो उसे कुत्तों ने घेर लिया. ग्रामीणों ने कुत्तों से बचाकर उसे ओमपाल प्रजापति नामक ग्रामीण के एक खाली पड़े घर में बंद कर दिया। गांव के चौकीदार सोहनवीर की सूचना पर वन विभाग के दो कर्मचारी खाली हाथ मौके पर पहुंचे तो ये देखकर ग्रामीण हैरान रह गए। जानकारी करने पर दोनों ने बताया कि जानसठ तहसील ऑफिस की एकमात्र गाड़ी काफी दिनों से खराब पड़ी है और जाल उनके पास है ही नहीं, जिसके बाद दोनों कर्मचारियों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के नाम पर हिरण की जान के साथ जो खिलवाड़ किया.


उसे देखकर ग्रामीण भी हैरान और परेशान हो गए. दोनों कर्मचारी बेजुबान और लाचार हिरण के साथ बड़ी ही निर्दयता के साथ पेश आए, जिसकी वजह से वो और भी बुरी तरह से डर गया और छटपटाते हुए चिंघाड़ मारने लगा. इस दौरान कई ग्रामीण भी उसकी जद में आकर चोटिल हो गए, जबकि हिरण बुरी तरह से घायल होकर लहूलुहान हो गया. हिरण के मुंह, नाक, पैर और पेट के पास से खून बहने लगा. जब ग्रामीणों ने देखा कि हिरण वन कर्मचारियों से डरा हुआ है और वो उनके काबू में नहीं आने वाला तो ग्रामीणों ने उनकी मदद की। काफी देर बाद ग्रामीणों की मदद से उसके पैर और सींग बांधकर काबू किया.


फिर उसे एक बोगी में डालकर जंगल में ले जाया गया। इस दौरान बोगी को गांव के बच्चों ने ही खींचा, जबकि भारी संख्या में भीड़ बोगी के पीछे-पीछे चलती रही। दूर जंगल में ले जाकर इस पहाड़ी हिरण को छोड़ दिया गया। हैरानी इस बात की है कि हिरण को उसी जंगल में छोड़ा गया, जहां से वो भटकता हुआ गांव में गया था. साथ ही उसका कोई उपचार भी नहीं कराया गया. उसे घायल अवस्था में ही छोड़ दिया गया. इसके पीछे वन कर्मचारियों ने तर्क दिया कि मिट्टी लगकर घायल हिरण अपने आप ही ठीक हो जाएगा.