Analysis: बागी कैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में बन रहे चुनौती? टेंशन सिर्फ बीजेपी को नहीं है
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Analysis: बागी कैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में बन रहे चुनौती? टेंशन सिर्फ बीजेपी को नहीं है

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा में टिकट बंटवारे के बाद और नामांकन के अंतिम दिन भी बगावत नहीं थमी है. आम आदमी पार्टी में भी टिकट के दावेदारों की नाराजगी की खबर आ रही है. जेजेपी और इनेलो जैसी क्षेत्रीय पार्टियों में भी बागी बढ़ रहे हैं. 

Analysis: बागी कैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में बन रहे चुनौती? टेंशन सिर्फ बीजेपी को नहीं है

Haryana Elections Rebels Challenge: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में नामांकन के आखिरी दिन गुरुवार (12 सितंबर) को भी टिकट नहीं हासिल कर सकने वाले नेताओं की नाराजगी दूर नहीं हो पाई है. अपनी पार्टियों से नाराज नेताओं की बगावत को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, विपक्षी पार्टी कांग्रेस और किस्मत आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी परेशान है. हालांकि, हरियाणा की आईएनएलडी और जेजेपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

कांग्रेस और भाजपा में ज्यादा बगावत, निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दिग्गज

भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल और टिकट कटने पर रामविलास शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया. वहीं, कांग्रेस में राकेश जून ने बहादुरगढ़ सीट से दरकिनार किए जाने के बाद पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का विकल्प चुना. उन्होंने कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप भी लगाया. कांग्रेस में विनेश फोगाट को टिकट मिलने से जुलाना में तो भाजपा में अटेली सीट से आरती राव को टिकट मिलने के बाद हंगामा तेज हो गया.

कुछ अंसतुष्ट नेता माने, कुछ ने बदली पार्टी; ज्यादातर आजमा रहे किस्मत

हरियाणा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की बगावत पर इनेलो, जजपा, आम आदमी पार्टी, बसपा और आजाद समाज पार्टी की भी नजर थी. लेकिन दोनों बड़ी पार्टियों के ज्यादातर बागी नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने को बेहतर समझा. कुछ असंतुष्टों को पार्टी नेताओं ने मना लिया. हालांकि, कई नेताओं ने पार्टी बदलकर टिकट भी हासिल कर लिए. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी समेत हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियों का टिकट नहीं मिलने से नाराज और बागी नेताओं की अधिक चर्चा नहीं हो सकी.

हरियाणा में भाजपा की हालत कैसी है, क्यों नहीं थम रहे बगावत के सुर?

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने इस बार कई विधायकों के टिकट काटे हैं. इसके चलते बगावत के सुर थम नहीं रहे. चुनाव में भाजपा के लिए बढ़ती चुनौती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बागियों के नामांकन में पार्टी के सीनियर नेता भी पहुंच रहे हैं. हालांकि, भाजपा नेताओं ने माना है कि कई सीटों पर दिख रहे बगावत को उसे रोका जा सकता था. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नायब सैनी को टिकट बंटवारे में ज्यादा अधिकार नहीं दिए गए. टिकट बंटवारे के बाद मंत्री रणजीत सिंह चौटाला और विधायक लक्ष्मण दास नापा ने भाजपा छोड़ दी थी.

मतदान पर बगावत का असर पड़ने से रोकने की रणनीति पर काम

असहमति के सुरों के बीच केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम से सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी कर दी. रामविलास शर्मा और लक्ष्मण दास का समर्थन किया. राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को टिकट मिला, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सीएम फेस को लेकर उनके बयान को खारिज कर दिया. वहीं, भाजपा में बगावत, इस्तीफा और निर्दलीय नामांकन का दौर गुरुवार तक जारी रहा. इसका असर मतदान पर पड़ने से रोकने के लिए रणनीति बनाई जा रही है.

कांग्रेस में टिकट की मारामारी, सीएम फेस के लिए तीन गुटों में संघर्ष

हरियाणा में 10 साल से सत्ता से दूर प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार चुनाव में उसका प्रदर्शन अच्छा हो सकता है. इसके चलते 90 सीटों पर 3000 से ज्यादा नेताओं ने उम्मीदवारी की मांग रख दी. हालांकि, कांग्रेस ने अपने पुराने विधायकों को रिपीट किया और कई नए चेहरों को मैदान में उतारा. इसके साथ ही कांग्रेस में अंदरूनी तौर पर शुरू बगावत तेज होकर सतह पर आ गई. हालांकि, कांग्रेस के लिए टिकट नहीं मिलने वालों की बगावत और आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं होने से भी बड़ी मुश्किल मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर मचा अंदरखाने का घमासान है.

कांग्रेस में बगावत के पीछे टिकट को लेकर तीनों कैंप की बड़ी खींचतान

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सूरजेवाला का कैंप सीएम फेस को लेकर आपस में भिड़ा है. कांग्रेस के चौथे गुट की प्रमुख रहीं किरण चौधरी फिलहाल भाजपा में शामिल हो चुकी हैं. हरियाणा में अपने असर वाले खास जिले में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में जुटे कांग्रेस दिग्गज टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए नेताओं को संभालने या मनाने में भी चूक रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने सीनियर नेताओं को अलग से इसकी जिम्मेदारी सौंपी है.

क्या है आम आदमी पार्टी और हरियाणा के क्षेत्रीय पार्टियों का चुनावी हाल?

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 6 लिस्टों में आम आदमी पार्टी ने सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया. वहीं, पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने वहा प्रचार अभियान का मोर्चा भी संभाल लिया है. बिना किसी गठबंधन के हरियाणा में किस्मत आजमा रही आप अपने नेता केजरीवाल के पैतृक गांव हिसार जिले का खेड़ा को बार-बार प्रचारित कर रहे हैं. आप ने भाजपा और कांग्रेस के बागियों को दिल खोलकर टिकट दिए. हालांकि, इस चक्कर में उसके खुद के कई नेता नाराज होकर बगावत करने लगे.  

लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में आप को 3.94 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी. काफी निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली आप को एक भी सीट नहीं मिली थी. कई सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत तक ज़ब्त हो गई थी. वहीं, वोट शेयर भी महज 0.48 प्रतिशत रहा था. लोकसभा चुनाव 2019 में हरियाणा में आप ने तीन लोकसभा सीटों पर लड़कर 0.36 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किए थे.

इसके अलावा, हरियाणा में इनेलो और बसपा के गठबंधन के बागी नेताओं या जेजेपी-एएसपी गठबंधन के नेताओं की नाराजगी या टिकट नहीं मिलने पर बगावत की खबरें ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोर पाईं. इनके कई नेताओं ने आपस में ही पार्टी और सीटें बदल ली हैं. इसको लेकर इन क्षेत्रीयों दलों में भी टेंशन बना हुआ है.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को मतदान, 8 को मतगणना 

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी 90 सीटों पर एक ही चरण में पांच अक्टूबर को मतदान होगा. इसके बाद 8 अक्टूबर को मतगणना के बाद नतीजे जारी किए जाएंगे. चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर है. पिछली बार, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में सफल रही थी. इससे पहले 2024 के चुनाव में भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी.

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