Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये हैं. नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी ने परिवारवाद के खिलाफ बड़ा संदेश दिया है. 


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बीजेपी ने दिया परिवारवाद के खिलाफ बड़ा संदेश
बीजेपी ने साफ संकेत दिए हैं कि सांसदों-विधायकों या बड़े पदों पर बैठे नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा. यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद की कमान संभालने वाले भूपेंद्र चौधरी ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ पहली बैठक में ही यह स्पष्ट कर दिया है. पार्टी ने यह भी कहा है कि ऐसे नेताओं के परिवार से कोई व्यक्ति निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेगा. कहा गया है कि पार्टी की रणनीति के खिलाफ अगर कोई व्यक्ति नगर निकाय चुनाव लड़ता है, उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. 


नहीं मिलेगा नेताओं के बेटे-बेटियों को टिकट
यूपी विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह बीजेपी ने सांसदों या अन्य बड़े नेताओं के बेटे-बेटियों को टिकट देने पर सख्ती की थी. अपवादों को छोड़कर इसका पूरी तरह पालन भी कराया गया. उदाहरण की बात करें तो बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के लाख प्रयासों के बावजूद उनके बेटे को लखनऊ से टिकट नहीं मिल पाया था. चुनाव के ठीक आखिरी वक्त सांसद के बेटे मयंक जोशी सपा में शामिल हो गए थे.


नवंबर या दिसंबर में हो सकते हैं नगर निकाय चुनाव
नगर निकाय चुनाव नवंबर के अंत में या दिसंबर में हो सकते हैं. इसके लिए परिसीमन की प्रक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में चल रही है. लेकिन सभी दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. बीएसपी, जो अभी तक पंचायत चुनाव या नगर निकाय चुनावों से दूरी बनाती रही है, उसने भी इस बार चुनाव मैदान में पूरी ताकत झोंकने का मन बनाया है. 


चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने शुरू की तैयारी 
बीएसपी ने नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में अपने पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों और दिग्गज नेताओं को उतारने के संकेत दिए हैं. जबकि राष्ट्रीय लोकदल ने सपा गठबंधन से अलग अकेले ही चुनाव मैदान में ताल ठोकने का रुख जाहिर किया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसा बयान कुछ दिन पहले दिया था. वहीं सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी राज्य का जिलेवार दौरा कर रहे हैं. वो नगर निगम चुनावों के पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं, ताकि विधानसभा चुनाव में मिली हार से मायूस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े.


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