National Pollution Control Day 2022 : उत्तर प्रदेश में अब डीजल चालित ऑटोरिक्शा जल्द ही आपको सड़कों पर दिखाई नहीं देंगे. 1 जनवरी 2023 यानी नए साल से सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो का ही पंजीकरण होगा औऱ वे ही सड़कों पर दौड़ते दिखाई देंगे. राजधानी दिल्ली की सड़कों से पहले ही डीजलचालित ऑटोरिक्शा बंद किए जा चुके हैं. अब एनसीआर के सभी जिलों में डीजल चलने वाले ऑटो रिक्शा बंद कर दिए जाएंगे.


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उत्तर प्रदेश के आठ जिले मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, शामली और मुजफ्फरनगर जिले में यह नियम लागू होगा. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQAM) का लक्ष्य है कि 1 जनवरी 2027 से पूरे देश में सभी जगह सड़कों पर सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो ही फर्राटा भरें. एनसीआर के 14 जिलों के परिवहन विभाग के कार्यालयों यानी आरटीओ में सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो ही रजिस्टर्ड होंगे. 


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पूरे एनसीआर में लागू होगी व्यवस्था
हरियाणा और राजस्थान सरकार को पत्र भेज कर एनसीआर के अन्य जिलों से डीजल ऑटो पूरी तरह बंद होंगे.चरणबद्ध तरीके से डीजल ऑटो हटाने की समयसीमा हर जिले के लिए तय की गई है. गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए ये डेडलाइन 31 दिसंबर 2024 है. जबकि हरियाणा में सोनीपत, बागपत, रोहतक और झज्जर में 31 दिसंबर 2025 और अन्य शहरों में यह सीमा 30 दिसंबर 2026 रहेगी.गौरतलब है कि सरकार औऱ वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने वाली तमाम एजेंसियां दिल्ली एनसीआर से 15 साल पुराने वाहनों का पंजीकरण पहले 


खतरनाक हो जाता है सर्दियों में वायु प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर में दीपावली के बाद नवंबर-दिसंबर से वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है. दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बागपत, मुजफ्फरनगर जैसे इलाकों में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों का स्तर कई गुना पढ़ जाता है. इस कारण एयर क्वॉलिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 400-500 तक पहुंच जाता है.प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बाद GRAP और  NGT को सख्त पाबंदियां लागू करनी पड़ती हैं.  CPCB यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्यों के SPCB के जरिये भी कई तरह की सख्ती लागू करता है. इसमें निर्माण गतिविधियों पर रोक, भारी वाहनों की एंट्री पर पाबंदी आदि शामिल हैं. 


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