मनीष गुप्ता/आगरा: सामान्य सा परिवार, पिता की आर्मी में शिक्षक की नौकरी, भाई बहनों में तीसरे नंबर की बेटी. सामान्य कद-काठी, बस साथ था तो एक जुनून का. जुनून भी ये कि जो काम लड़के कर सकते हैं वो काम हम लड़कियां क्यों नहीं कर सकती हैं, बस यही सवाल था जो महज 6-7 साल की बेटी के जेहन में उमड़ता-घुमड़ता रहता था. वक्त के साथ ये सवाल  कब जुनून में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला.


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हम बात कर रहे हैं आज की अर्जुन अवॉर्डी औऱ भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य रही पूनम यादव (Cricketer Poonam Yadav)   की. ताजनगरी की रहने वाली पूनम यादव आज के युवाओं की आईकॉन बन चुकी हैं.


इंटरनेशनल महिला क्रिकेटर हैं पूनम यादव 
ईदगाह स्थित रेलवे कॉलोनी में रहने वाली पूनम यादव का जन्म अगस्त 1991 को हुआ था. डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट पूनम यादव की कहानी आज के युवाओं के लिये प्रेरणा दायक है. महज 6-7 साल की उम्र से ही पूनम यादव, लड़कों की तरह से हर वो काम करना चाहती थी जो लड़के कर सकते थे . बस इसके बाद तो पूनम यादव 10 -12 साल की उम्र से क्रिकेट की दीवानी हो गई थीं.


जादुई गेंदबाजी से भारतीय टीम को जिताए कई मैच
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बेहतरीन बल्लेबाज हेमलता काला से पूनम यादव को प्रेरणा मिली. दिन रात की मेहनत का नतीजा था कि पूनम यादव आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बेहतरीन लेग स्पिनर बॉलर हैं. पूनम यादव की बॉलिंग के चलते भारतीय महिला टीम कई मैच जीत चुकी है. दूसरे शब्दों में कहें तो पूनम यादव आज की तारीख में क्रिकेट के छितिज पर चांद सी दमक रही हैं. 


वर्ल्ड कप 2017 में किया शानदार प्रदर्शन 
पूनम यादव के पिता रघुवीर सिंह बताते हैं कि पूनम, चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर की हैं. बचपन से ही उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. यही वजह है कि वे 2013 से लेकर 2022 तक भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य रहीं. इस दौरान उन्होंने कई रिकार्ड कायम किये हैं. वे इस वक्त देश की पहली महिला बॉलर हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा 98 विकेट लिए हैं.


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2019 में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए मिला था अर्जुन अवॉर्ड
वे वर्तमान में रेलवे की तरफ से सिकंदराबाद में क्रिकेट सीरीज खेल रही हैं. क्रिकेट में उनकी कामयाबी देखते हुए ही भारत सरकार ने पूनम यादव को 2019 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा था. इतना ही नहीं 2017 में यादव ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप बेहतरीन प्रदर्शन किया था. भारतीय टीम वर्ल्ड कप में रनर अप रही थी.


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रात-दिन की मेहनत 
पिता रघुवीर सिंह यादव बताते हैं कि पूनम को क्रिकेट का इतना जुनून था कि वे सुबह चार बजे ही जाग कर स्टेडियम पहुंच जाती थीं. इसके बाद स्कूल-कालेज की पढ़ाई, घर आकर वापस से स्टेडियम जाकर प्रैक्टिस करना ही उनका लक्ष्य रहता था. इस बीच उनकी लगन और प्रतिभा के दम पर पूनम का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हो गया. लेग स्पिनर बॉलर पूनम यादव अपनी धारदार बॉलिंग की बदौलत अपनी चमक बखूबी बिखेर चुकी हैं.