CNG Price: नोएडा-गाजियाबाद समेत UP में ओला-उबर समेत कैब-टैक्सी महंगी होगी, PNG रसोई गैस पर भी झटका
Natural Gas price hiked: त्योहारी मौसम में देशवासियों को महंगाई का तगड़ा झटका लगा है. सीएनजी के रेट बढ़ने से नोएडा गाजियाबाद समेत पूरे उत्तर प्रदेश में ओला, उबर जैसी कैब और टैक्सी सेवाएं महंगी होंगी. सीएनजी और पीएनजी के दामों में रिकॉर्ड 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, जानिए क्या होगा इसका असर...
लखनऊ: सीएनजी और पीएनजी के दामों में रिकॉर्ड 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. इससे त्योहारी मौसम में देशवासियों को महंगाई का तगड़ा झटका लगा है. सीएनजी के रेट बढ़ने से नोएडा गाजियाबाद समेत पूरे उत्तर प्रदेश में ओला, उबर जैसी कैब और टैक्सी सेवाएं महंगी होंगी. पीएनजी के रेट बढ़ने से सोसायटी पाइप लाइन से मिलने वाली रसोई गैस के दाम में भी बड़ा इजाफा होना तय है. सीएनजी और पीएनजी की कीमत में वृद्धि से बिजली और खाद भी महंगी होने की आशंका है. शुक्रवार सुबह एक और झटका मध्यमवर्गीय परिवारों को लगा था, जब आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी. इससे घर, कार, बाइक लोन की ईएमआई बढ़ना तय है.
आपको बता दें कि तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPSC) की तरफ से एक आदेश जारी किया गया है. आदेश के मुताबिक पुराने गैस क्षेत्रों से गैस के लिए प्रोडक्शन के लिए भुगतान की जाने वाली रकम मौजूदा समय में 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट है, जिसे बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति MBTU कर दिया गया है. नए आदेश के बाद देश में उत्पादित गैस के लगभग दो तिहाई हिस्से में बढ़ी हुई दरों पर बिक्री होगी.
आपको बता दें कि नए आदेश के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके पार्टनर बीपी पीएलसी द्वारा केजी बेसिन में संचालित डी-6 ब्लॉक जैसे मुश्किल और नए क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत में बढ़ोतरी कर दी है. बता दें कि नई दरों के मुताबिक अब उत्पादित गैस का मूल्य 9.92 डॉलर से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति यूनिट कर दिया गया है.
2019 से अब तक तीसरी बार हुई कीमतों में वृद्धि
आपको बता दें कि अप्रैल 2019 के बाद से गैस की दरों में तीसरी बार बढ़ोतरी की जा रही है, जिसकी खास वजह भी बताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के कारण ये वृद्धि हुई है, जिसकी बड़ी वजह ये है कि नेचुरल गैस उर्वरक बनाने और विद्युत उत्पादन के लिए प्रमुख रॉ मैटेरियल है. खास बात यह है कि इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है. साथ ही इसका इस्तेमाल पीएनजी गैस के रूप में भी किया जाता है.
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस उछाल से जनता भी अछूती नहीं रहेगी. दरों में बढ़ोतरी से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में उछाल आने की आशंका है, जो पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है. जानकारी के मुताबिक भारत सरकार प्रति छह माह 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को गैस की कीमतों को तय करती है. खास बात यह है कि ये कीमतें अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे देशों में साल में एक चौथाई अंतराल पर दरें तय होती हैं.
बता दें कि 1 अक्टूबर से 31 मार्च की कीमत जुलाई 2021 से जून 2022 तक की एवरेज वैल्यूएशन पर आधारित है. हालांकि, इस दौरान वैश्विक बाजार में भी दरें तेजी से बढ़ी हैं. इसके दुष्प्रभाव ये हो सकते हैं कि गैस की बढ़ी कीमतें मुद्रास्फीति को और बढ़ा सकती हैं, जो पिछले 8 महीनों से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है. भारत सरकार ने इसके मूल्य निर्धारण फॉर्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है.
सूत्रों की माने तो प्राक्रतिक गैस की कीमतों में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और रसोई गैस की दरों में वृद्धि होने की संभावना है. दरों की बढ़ोतरी से विद्युत उत्पादन करने के लागत मूल्य में बढ़ोतरी होगी, लेकिन आम उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी. जिसकी बड़ी वजह गैस से बिजली उत्पादन का हिस्सा काफी कम है. वहीं, फर्टिलाइजर प्रोडक्शन की कॉस्ट बढ़ सकती है. इसका सीधा असर किसानों पर होगा. वहीं, सरकार की तरफ से ऊर्वरक पर सब्सिडी की दरों को बढ़ाने की संभावना नजर नहीं आ रही है. हालांकि, इस बढ़ोतरी से प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों की आय में जरूर इजाफा होने की संभावना है.