वेदेंद्र शर्मा/आजमगढ़: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में स्थित दक्षिण मुखी देवी के दरबार में जहां हमेशा दीपक की ज्योति जलती रहती है. वहीं यह ऐसा स्थान है जहां भक्तों की आशा की ज्योति भी नहीं बुझती है. इस स्थान की महत्ता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि दक्षिण एशिया में दो ही दक्षिण मुखी देवी दुर्गा का मन्दिर है. दूसरी खास बात यह कि पुजारी के परिवार में परिस्थितियां कोई भी हों लेकिन कभी भी मां का श्रृंगार व पूजन नहीं रुका है.मन्नत पूरी होने पर भक्त भी का श्रृंगार कराते हैं. 

 

भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं मां 

आजमगढ़ ही नहीं दूर-दूर से लोग दक्षिणमुखी देवी का दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं. घर में कोई भी नया काम हो या अन्य प्रायोजन बिना इनकी इजाजत के नहीं होता है. शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां विशेष पूजन अर्चन होता है. यहां दर्शन के लिए भक्तों की कतार सुबह से ही लग जाती जो देर शाम तक जारी रहती है.मां की मंदिर को रंग बिरंगे विद्युत झालरों से अलग ही रूप दिया जाता है, जिससे दृश्य मनोहारी हो जाता है. विशेष श्रृंगार का दर्शन करने को भी आजमगढ़ व आसपास के जनपदों से भीड़ उमड़ती है, जहां श्रद्धालु अपने परिवार की सुख समृद्धि व अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां पर भक्त मां से जो भी मांगते हैं मां उसको पूरा करती हैं. 

 


 

इस वजह से है खास 

दक्षिणमुखी देवी मंदिर के पांडा ने बताया कि दक्षिणमुखी मंदिर में भक्त जो भी मुराद मां दुर्गा से मांगते हैं. उनकी मुराद मां दुर्गा जरूर पूरा करती हैं और इसी कारण दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन को आते हैं. दक्षिण मुखी मंदिर तांत्रिक मंदिर माना जाता है. इसलिए इस मंदिर में आस्था भक्तों की बहुत अधिक रहती है. मंदिर के संस्थापक के परिवार के लोगों के अनुसार पांच सौ वर्ष पूर्व जब मंदिर के स्थान पर मात्र जंगल था और तमसा नदी करीब से बहती थी तो यहां बालू का टीला हुआ करता था.

 

नवरात्र के दूसरे दिन चौक स्थित दक्षिणमुखी देवी के मंदिर में विशेष भीड़ रही. लम्बी-लम्बी कतारों में दर्शन पूजन को लोग इंतजार करते रहे. यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में भी रहा. भक्तों ने मां शैलपुत्री के रूप में अराधना की. 

 

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