Navratri 2022: कानपुर का तपेश्वरी मंदिर, जहां माता सीता ने कराया था लव-कुश का मुंडन! रामायण काल से जुड़ी है मान्यता
Shardiya Navratri 2022: कानपुर में स्थित तपेश्वरी देवी के दर्शन के लिए लाखों-करोड़ों लोग दुनियाभर से आते हैं. इस मंदिर में लोगों की आस्था है. माना जाता है कि यहीं पर माता सीता ने अपने दोनों पुत्रों लव-कुश का मंडन कराया था. पढ़ें खबर-
Kanpur Maa Tapeshwari Mandir: शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 26 सितंबर से होने जा रहा है और इसी के साथ देशभर में देवी माता के सभी प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहेगा और चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा आपके आसपास बनी रहेगी. इसी बीच बात करते हैं देवी मां के उस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में, जहां नवरात्रि शुरू होते ही उसके समापन तक.. भक्तों की भीड़ हमेशा बनी रहती है. हम बात कर रहे हैं कानपुर के तपेश्वरी महादेव मंदिर की... जिसकी मान्यता श्रीराम के परिवार, माता सीता और लव कुश से जुड़ी है.
निसंतान दंपति की होती हैं मुरादें पूरी
दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित तपेश्वरी मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से निसंतान दंपति की संतान पाने की मुराद पूरी हो जाती है. इसके चलते नवरात्रि के दिनों में यहां पर दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. भक्त माता की पूजा अर्चना कर अपने मन की मुराद मांगते हैं. मुराद पूरी होने पर वे यहां पर आकर बच्चों का मुंडन भी कराते हैं.
वाल्मीकि के आश्रम जाते समय सीता जी ने यहां की थी पूजा
इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि धोबी की बातें सुनने के बाद भगवान श्रीराम ने माता सीता का त्याग करने का फैसला किया था. इसके बाद लक्ष्मण जी माता सीता को छोड़ने के लिए बिठूर जा रहे थे. तभी इस स्थान पर, जहां आज माता का मंदिर स्थित है, सीता जी ने रुक कर तीन अन्य स्त्रियों के पूजा अर्चना की थी. यहां पर जो माता की मूर्ति उत्पन्न हुई उसे मां तपेश्वरी देवी के नाम से जाना गया. बाद में वाल्मीकि आश्रम में रहते हुए माता सीता जी ने लव कुश नाम के बालकों को जन्म दिया, जिनका मुंडन संस्कार इसी तपेश्वरी देवी मंदिर में कराया गया.
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बच्चों के मुंडन और कर्ण छेदन के लिए लगता है लोगों का हुजूम
शहर के बिरहाना रोड में स्थित इस मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत अधिक आस्था है. नवरात्रि के दिनों में यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं, अन्य दिनों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में पूजा करने और माता से मुराद मांगने पर निसंतान दंपतियों की संतान की मुराद पूरी हो जाती है. कुछ लोग मंदिर परिसर में मन्नत मांगने के साथ ही चुनरी चढ़ाते हैं. मन्नत पूरी होने पर ही यह चुनरी खोली जाती है, जिसे भक्त अपने घर ले जाते हैं. नवरात्रि के दिनों में यहां पर मुंडन और कर्ण छेदन कराने वालों का भी हुजूम उमड़ता है.
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