लखनऊ : प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने नई जेलों के निर्माण का फैसला लिया है. इनमें 11 ऐसे जिले हैं, जहां अभी कोई जेल नहीं है. इसके अलावा एक केंद्रीय कारागार और नौ जिलों में दूसरी जेल के निर्माण की कवायद शुरू कर दी गई है. अमेठी, महोबा, कुशीनगर, चंदौली, औरेया, हापुड़, संभल, अमरोहा, भदोही, हाथरस, शामली में नई जेलों के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. वहीं ललितपुर में नये केंद्रीय कारागार का निर्माण होना है. ललितपुर में ही एक हजार बंदी क्षमता के दूसरे जिला कारागार का भी निर्माण होगा. बरेली की पुरानी जेल के मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए राशि मंजूर कर दी गई है.


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मुरादाबाद, मुजफ्फनगर में तीन-तीन हजार, शाहजहांपुर, बदायूं, वाराणसी में दो-दो हजार, जौनपुर, रामपुर में एक-एक हजार और कानपुर नगर में 5 हजार बंदी क्षमता के जिला कारागार के निर्माण की कवायद जारी है. मार्च के आखिर में श्रावस्ती में 502 और प्रयागराज में 2,688 बंदी क्षमता का जिला कारागार बनकर तैयार हो जाएगा. नई जेलों के निर्माण का लक्ष्य 2 से 5 साल का तय किया गया है. 


एडवांस तकनीक से होगी निगरानी


राज्य में बनने वाली इन नई जेलों में कैदियों पर निगाह रखने के लिए अत्याधुनिक सर्विलांस सिस्टम, बॉडी वॉर्न कैमरा और अन्य टेक्निकल सिस्टम लगाए जाएंगे. इससे खूंखार कैदियों की सघन निगरानी की जा सकेगी. 


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ओवर क्राउडिंग से मिलेगी निजात
मौजूदा समय में राज्य की 74 जेलों की क्षमता 62281 बंदियों की है, जबकि इनमें करीब 1 लाख 18 हजार 221 बंदी निरुद्ध हैं. ऐसे में जेलों में ओवरक्राउडिंग की समस्या को दूर करना चुनौतीपूर्ण है. इसके लिए नई जेलों के निर्माण के साथ पुरानी जेलों में और बैरकों की मरम्मत करनी होगी.


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