Noida News : नोएडा विकास प्राधिकरण यानी नोएडा अथॉरिटी में भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर से निकल आया है.यादव सिंह के मामले के बाद इस बार शिकंजे में पूर्व ओएसडी रवींद्र सिंह यादव हैं. नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व ओएसडी रवींद्र सिंह यादव के खिलाफ (विजिलेंस) के मेरठ सेक्टर ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज किया है. विजिलेंस ने उनके खिलाफ ये दूसरा केस दर्ज किया है. पिछले साल नवंबर माह में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में सतर्कता विभाग ने रवींद्र सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. इसकी जांच में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के पुख्ता सबूत मिले थे. इसके बाद विजिलेंस ने एक और केस दर्ज किया.


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नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व ओएसडी रवींद्र सिंह यादव नोएडा अथॉरिटी में ही 24 साल से तैनात थे. उनके खिलाफ तमाम शिकायतों के बाद जांच के आदेश विजिलेंस टीम को दिए गए थे. जांच में यह पाया गया कि रवींद्र सिंह ने कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया. शासन की ओर से मंजूरी मिलते ही यादव पर एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी मांगी गई थी. शासन की हरी झंडी मिलते ही मेरठ विजिलेंस ने केस दर्ज कर जां शुरू कर दी थी.


जांच में पाया गया था कि आगरा के रहने वाले रवींद्र सिंह यादव ने अथॉरिटी के सेक्टर 5 स्थित डॉक्टर अपार्टमेंट के भूखंड का स्थानांतरण 9 मार्च 2007 को मिनिमम ट्रांसफर फीस 600 प्रति वर्ग मीटर लेकर एक कोऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के पक्ष में किया था. जबकि टेंडर की आरक्षित दर 9500 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी. ये ट्रांसफर अथॉरिटी के नियमों के खिलाफ पाया गया.


इससे नोएडा विकास प्राधिकरण को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ. विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि इस मामले में रविंद्र सिंह यादव प्राधिकरण की नीति के खिलाफ निजी लाभ लेने के दोषी पाए गए थे. विजिलेंस रिपोर्ट पर सरकार ने रवींद्र सिंह यादव पर FIR दर्ज कर केस में जांच आगे बढ़ाने को कहा था.


 


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