मियाद पूरी होने के बावजूद जस का तस खड़ा है नोएडा सुपरटेक टावर, बिल्डर ने खत लिख मांगा और समय
Supertech Twin Tower: उत्तर प्रदेश सरकार की 4 सदस्य समिति ने जांच की. जांच में यह सामने आया कि सुपरटेक बिल्डर के द्वारा नियमों की अनदेखी की गई. इसके अलावा, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने भी अनुचित आर्थिक लाभ दिया और बिल्डर सुपरटेक के कृत्यों को नजरअंदाज करते हुए बिल्डर को अवैधानिक निर्माण कार्य को जारी रखने में सहयोग किया...
गौतमबुद्ध नगर: नोएडा में सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर गिराने की मियाद पूरी हो गई, लेकिन टावर जस का तस खड़ा है. सुपरटेक बिल्डर ने बड़ी चतुराई के साथ 30 नवंबर यानी मंगलवार को दो एजेंसियों के नाम देर शाम नोएडा प्राधिकरण को भेजे हैं और पत्र के माध्यम से नोएडा प्राधिकरण से अतिरिक्त 6.5 महीने का वक्त मांगा है. बताया जा रहा है कि सुपरटेक बिल्डर ने अतिरिक्त वक्त टावर गिराने के लिए मांगा है.
ड्रोन से कराया गया था सर्वे
बता दें, सुपरटेक ट्विन टावर मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 सदस्य समिति का गठन किया. इस दौरान एसआईटी के चारों सदस्यों ने नोएडा अथॉरिटी में डेरा डाला और कई दिनों तक दस्तावेज खंगाले. फिर, दस्तावेज़ के आधार पर केस दर्ज कराया गया. इस दौरान ट्विन टावर का ड्रोन सर्वे भी कराया गया, जिसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई.
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खंगाली गई सभी अधिकारियों की कुंडली
इसके अलावा, ट्विन टावर का स्थलीय निरीक्षण भी एसआईटी की टीम ने किया. शुरुआती जांच में दो अधिकारियों को निलंबित किया गया. एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण में साल 2004 से 2014 के दौरान तैनात रहे अधिकारियों की कुंडली खंगाली और उसके आधार पर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी.
सुपरटेक के कृत्यों को अधिकारियों ने किया नजरअंदाज
उत्तर प्रदेश सरकार की 4 सदस्य समिति ने जांच की. जांच में यह सामने आया कि सुपरटेक बिल्डर के द्वारा नियमों की अनदेखी की गई. इसके अलावा, नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने भी अनुचित आर्थिक लाभ दिया और बिल्डर सुपरटेक के कृत्यों को नजरअंदाज करते हुए बिल्डर को अवैधानिक निर्माण कार्य को जारी रखने में सहयोग किया.
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30 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज
सुपरटेक ट्विन टावर जांच के बाद शासन के आदेश पर FIR दर्ज हुई. SIT की जांच के आधार पर 30 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. यह केस भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और 120 - बी धारा और धारा 166 के तहत हुआ.
बता दें, FIR में 4 सेवानिवृत्त IAS अधिकारियों और सुपरटेक के निदेशक के भी नाम हैं. ये हैं-
1. सेवानिवृत्त CEO मोनिंदर सिंह मुकदमा दर्ज,
2. सेवानिवृत्त CEO एस.के द्विवेदी,
3. सेवानिवृत्त ACEO आर.पी अरोड़ा,
4. सेवानिवृत्त ACEO पी.एन बाथम,
5. सेवानिवृत्त OSD यशपाल सिंह,
6. सहयुक्त नगर नियोजक, ऋतुराज व्यास,
7. नगर नियोजक, ए.के मिश्रा,
8. सेवानिवृत्त वरिष्ठ नगर नियोजक, राज्यपाल कौशिक,
9. सेवानिवृत्त मुख्य वास्तु विधि नियोजक, त्रिभुवन सिंह,
10. सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक ग्रुप हाउसिंग, शैलेन्द्र कैरे,
11. सेवानिवृत्त परियोजना अभियंता V, बाबूराम,
12. सेवानिवृत्त प्लानिंग असिस्टेंट, टी. एन पटेल,
13. सेवानिवृत्त मुख्य वास्तु विधि नियोजक, वी. एन देवपुजारी,
14. अनिता, प्लानिंग असिस्टेंट,
15. सेवानिवृत्त एसोसिएट आर्किटेक्ट, एक. के कपूर,
16. नियोजक सहायक, मुकेश गोयल,
17. सेवानिवृत्त सहायक वास्तविद, प्रवीण श्रीवास्तव,
18. सेवानिवृत्त विधि अधिकारी, ज्ञानचंद,
19. सेवानिवृत्त विधि सलाहकार, राजेश कुमार,
20. विमला सिंह, सहयुक्त नगर नियोजक,
21. सेवानिवृत्त महाप्रबंधक, विपिन गौड़,
22. सेवानिवृत्त परियोजना अभियंता, एम.सी त्यागी,
23. मुख्य परियोजना अभियंता, के.के पांडेय,
24. सेवानिवृत्त वित्त नियंत्रक, ए.सी सिंह,
25. आर. के अरोड़ा, निदेशक, सुपरटेक,
26. संगीता अरोड़ा, निदेशक,
27. अनिल शर्मा, निदेशक,
28. विकास कंसल, निदेशक,
29. दीपक मेहता, वास्तुविद
30. नवदीप, वास्तुविद (आर्किटेक्ट)
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