नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: बाराबंकी जिले के सरकारी स्कूल की एक छात्रा ने थ्रेशर का ऐसा मॉडल बनाया है, जिसमें गेहूं और भूसा को अलग करने के दौरान उड़ने वाली भयंकर धूल को सोखकर अलग किया जा सकेगा. इस छात्रा ने स्कूल में पढ़ाई के दौरान आसपास के खेतों में थ्रेशर से गेहूं निकालने के दौरान हवा में उड़ने वाली भयंकर धूल को देखा और इससे सांस लेने में होने वाली तकलीफ को भी महसूस किया. फिर इस परेशानी को दूर करने की ठानी और ऐसा मॉडल बना डाला. जिससे भूसा के साथ उड़ने वाली धूल को वातावरण में उड़ने से रोका जा सकेगा.


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यह कमाल करने वाली पूजा बाराबंकी में सिरौली गौसपुर ब्लॉक के ग्राम अगेहरा के उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्रा है, पूजा के पिता पुत्तीलाल मजदूर करते हैं, जबकि मां सुनीला देवी महीने में 1500 रुपये मानदेय पर रसोईया हैं. ऐसे हालातों में भी पूजा का दृढ़ निश्चय तनिक भी डिगा नहीं और अपनी मेहनत व लगन से यह कमाल कर दिया. पूजा ने का धूल रहित थ्रेशर का मॉडल जिले स्तर के बाद प्रदेश स्तर के लिए चुना गया, प्रदेश स्तर पर मूल्यांकन के बाद इसे अब राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा के लिए चुना गया है.


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दरअसल भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से यह इंस्पायर अवार्ड दिया जाता है. इसमें सरकारी और निजी स्कूलों के कक्षा छह से 10 तक के बच्चे जिला स्तर पर अपने वैज्ञानिक मॉडल को पेश करते हैं. इसी में पूजा ने भी अपना धूल रहित थ्रेशर का मॉडल दिखाकर सभी वैज्ञानिकों को हैरत में डाल दिया. अब पूजा के थ्रेशर वाले इस मॉडल का मूल्यांकन देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का प्रतिनिधि मंडल करेगा. 


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पूजा ने बताया कि उसने अपने इस मॉडल के लिये दिन-रात मेहनत की है. इस दौरान उसे तमाम कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन वह लगी रही और अब उसे इसमें सफलता मिली है. वहीं पूजा के विज्ञान शिक्षक और प्रोजेक्ट के गाइड राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि उसने कबाड़ के सामान से थ्रेशर का मॉडल तैयार किया है. अगर यह पेटेंट हो गया तो इससे किसानों की धूल की सारी समस्या भी हल हो जाएगी. वहीं पूजा के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी ने हम लोगों का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है, हम सभी उसकी सफलता से काफी खुश हैं. 


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