जितेन्द्र सोनी/जालौन: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज यानी 16 अगस्त को पुण्यतिथि है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जालौन से भी पुराना नाता है. ग्वालियर से लखनऊ जाते समय जालौन के उरई स्टेशन पर वह हमेशा यहां के रसगुल्ले खाते थे. चूंकि यहां के रसगुल्ले यहां की खास पहचान हैं, जिस कारण अटल जी को भी यहां के रसगुल्ले काफी पसंद थे. 


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आजादी से पहले प्रयोग के तौर पर खोली गई थी दुकान
स्थानीय निवासियों के मुताबिक उरई रेलवे स्टेशन पर आजादी से पहले गुलाब जामुन बिकने शुरू हुए थे. साल 1936-37 में हलवाई शंकर ठेकेदार ने उरई रेलवे स्टेशन पर गुलाब-जामुन बनाकर बेचने की शुरूआत की थी. उस समय रेलवे स्टेशन जैसी जगह पर गुलाब-जामुन बेचना अलग तरह का पहला प्रयोग था. अंग्रेजों के जमाने में झांसी से आने वाली ट्रेन उरई तक आती थी. फिर यहीं से वापस झांसी लौट जाती थी. 


वहीं कानपुर से आनी वाली टेन उरई तक होकर वापस लौट जाती थी. उस टाइम बहुत कम भीड़ हुआ करती थी. लेकिन रेलवे स्टेशन पर गुलाब जामुन बेचने का यह काम बेहद मशहूर हो गया. और तब से लेकर आज तक यहां के गुलाब जामुन दूर-दूर से यात्री जरूर खाना चाहते हैं. अटल जी को रसगुल्ले देने वाले दुकानदार शैलेन्द्र शर्मा बताते हैं कि अटल जी जब भी ग्वालियर से लखनऊ जाते थे तो यहां के रसगुल्ले खाना नहीं भूलते थे. छात्र जीवन से लेकर राजनीति के सफर तक उन्होंने यहां के रसगुल्ले खाये हैं. 


मिट्टी के बर्तन में दिए जाते हैं गुलाब जामुन
मिट्टी के बर्तन में बिकने वाले गुलाब जामुन आज भी लोगों में मशहूर हैं. अन्य सामान्य जगह की तरह यह गुलाब-जामुन उतने बड़े नहीं होते हैं. लेकिन रेलवे स्टेशन पर बिकने वाले इतिहास की वजह से यह मशहूर है. जब कहीं की प्रसिद्ध चीज की बात होती है तो उरई के गुलाब जामुन की चर्चा जरूर होती है. यहां के रसगुल्ले की पहचान देश के तमाम स्थानों पर है. अटल बिहारी वाजपेयी के साथ नाम जुड़ने के बाद ही उरई का रसगुल्ला मशहूर होता चला गया. 


पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को पसंद थे यहां के गुलाब जामुन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भी उरई के गुलाब जामुन बेहद पसंद थे. छात्र जीवन के दौरान उन्होंने तमाम बार उरई के गुलाब जामुन का स्वाद लिया. बाजपेयी जी फिल्मों और खाने के भी खूब शौकीन थे. पूर्व प्रधानमंत्री को देश के अलग-अलग पकवान इतने पसंद थे कि परहेज पर रहने के बावजूद वो उनसे दूर नहीं रह पाते थे और उन्हें खाने पहुंच जाते थे. 


फिल्मों में भी हुआ उरई के रसगुल्लों का जिक्र
राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ''हम साथ- साथ हैं'' याद है. भूल भी गए हों तो जान लें कि ये वही फिल्म है, जिसके एक डॉयलाग मे अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर उरई के रसगुल्ले की तारीफ करते हैं. 


इन कारणों से भी मशहूर है ये कस्बा
रेलवे लाईन और बस मार्ग पर यह शहर कानपुर और झांसी के मध्य में है. उरई बुन्देलखण्ड क्षेत्र मे स्थित है. कानपुर और झांसी से नियमित अंतराल पर बस और ट्रेन कि सुविधा से उरई पहुंचने के साधन उपलब्ध हैं. यह कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर स्थित है. यह शहर आल्हा उदल के मामा महिल की नगरी है. उरई में महिल तालाब भी स्थित है, जो उरई के सौंदर्य का प्रतीक है.