मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र से गायब युवती के मामले में जांच पर असंतोष जताते हुए जांच की मॉनिटरिंग प्रयागराज के आईजी की बजाय डीजीपी को सौंप दी है. जस्टिस गौतम चौधरी की एकलपीठ ने कलावती व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. अधिवक्ता शिवाकांत सिंह ने बताया कि कोर्ट पिछले आदेश के बाद हुई जांच से असंतुष्ट थी. इस लिए अब मॉनिटरिंग डीजीपी को सौंपी है.


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गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने पुलिस को एक और अवसर देते हुए युवती को पेश करने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा था कि यह पुलिस के लिए अंतिम अवसर होगा. पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने गायब युवती को पेश न कर पाने के कारण नाराजगी जताते हुए कहा था कि क्यों न मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया जाए. इस पर सरकारी अधिवक्ता ने एक और अवसर देने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तारीख लगाई थी. साथ ही आईजी प्रयागराज व संबंधित पुलिस अफसरों को मौजूद रहने का निर्देश दिया था.


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इसलिए कोर्ट ने DGP को सौंपी मॉनिटरिंग
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसपी फतेहपुर के हलफनामे पर आपत्ति जताई थी. कहा था कि ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी मामले को सात लाख रुपये में समझौता कराकर रफा-दफा करना चाहते हैं, जबकि पुलिस का यह भी मानना है कि युवती विपक्षी के साथ है. इसके बावजूद पुलिस उसे ढूंढ़ नहीं पा रही है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पुलिस अफसरों की अलग-अलग कहानियों पर भी नाराजगी जताई थी. याची ने अपनी बेटी के गायब होने का आरोप विपक्षियों पर लगाया है. कहा है कि पुलिस अधिकारी और एससी- एसटी आयोग तक शिकायत के बावजूद उसकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई. इस लिए मजबूर होकर उसने यह याचिका दाखिल की है. फिलहाल अब इस प्रकरण को कोर्ट ने डीजीपी को मॉनिटरिंग करने के लिए सौंप दिया है.


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युवती का पता लगाने के लिए पुलिस गुजरात भी जा चुकी है. पुलिस और आयोग पर केस न दर्ज करने का आरोप कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पुलिस अफसरों की अलग-अलग कहानियों पर भी नाराजगी जताई. मामले में याची की ओर से अपनी बेटी के गायब होने का आरोप प्रतिवादियों पर लगाया गया है. उसने कहा है कि पुलिस अधिकारी और एसटीएससी आयोग तक शिकायत करने के बावजूद उसकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई. इसलिए उसने मजबूर होकर यह याचिका दाखिल की है.


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