सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश का संभल अपनी सैकड़ों वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के लिए भी मशहूर है. संभल में आज भी ऐसी तमाम ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं जोकि सैकड़ों वर्ष बाद आज भी लोगों के मन में कौतूहल पैदा करती है. जिले में ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर है. एक विशाल दीवार पर 50 फीट की ऊंचाई पर टंगा पत्थर की चक्की का विशाल पाट, इतिहासकारों के अनुसार 16वीं शताब्दी से पूर्व राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा अपहरण करने के बाद छिपाई गई राजा जयचंद की बेटी संयोगिता का पता लगाने के लिए उनके योद्धा आल्हा ऊदल ने एक ही छलांग में पत्थर की चक्की के इस विशाल पाट को 50 फिट ऊंची दीवार पर टांग दिया था, लेकिन अफसोस की बात यह है कि संभल में मौजूद ऐसी तमाम ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण के अभाव में आज नष्ट होने के कगार पर है. 


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पृथ्वी राज चौहान की राजधानी था संभल 
संभल के मुख्य बाजार में खंडहर में तब्दील हो चुके विशाल परकोटे (भवन ) की दीवार पर लगभग 50 फिट से अधिक की ऊंचाई पर टंगे पत्थर की चक्की के पाट के संदर्भ में माना जाता है. 16वीं शताब्दी से पूर्व संभल राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी था. अपने शासन के दौरान पृथ्वीराज चौहान ने राजा जयचंद्र की बेटी और अपनी प्रेमिका संयोगिता का अपहरण करने के बाद संयोगिता को इसी विशाल भवन की दूसरी मंजिल पर छिपा कर रखा था. 


आल्हा और ऊदल नट के भेष में पहुंचे थे संभल 
राजा जय चंद्र ने अपहरण की गई अपने बेटी संयोगिता का पता लगाने के लिए अपने 2 योद्धा आल्हा और ऊदल को संभल भेजा था. राजा जय चंद्र के यह दोनों योद्धा करतब दिखाने वाले नट के भेष में संभल पहुंचे थे. नट के भेष में संभल पहुंचे राजा जय चंद्र के योद्धा आल्हा ऊदल को यह पता लग गया था कि राजा पृथ्वीराज चौहान द्वारा संयोगिता को इसी विशाल भवन की दूसरी मंजिल पर बने कमरे में रखा गया है, जिसकी एक खिड़की बाहर की ओर खुलती है. बताते है राजकुमारी संयोगिता के दूसरी मंजिल पर बने कमरे में होने की पुष्टि के लिए खिड़की में झांकने के लिए आल्हा ऊदल ने नट के करतब दिखाने के बहाने 50 फिट ऊंची दीवार पर बनी खिड़की के समीप पत्थर की चक्की के विशाल पाट को एक ही छलांग में 50 फिट ऊंची दीवार पर टांगने के साथ ही खिड़की में झांककर राजकुमारी संयोगिता के कमरे में मौजूद होने की पुष्टि की थी. 


संरक्षण के अभाव में में नष्ट हो रहे ऐतिहासिक धरोहर 
संभल के मुख्य बाजार में खंडहर में तब्दील हो चुके इस विशाल भवन की दीवार पर टंगा पत्थर की चक्की का यह विशाल पाट आज भी लोगों के मन में कौतूहल पैदा करता है, लेकिन अफसोस की बात यह है संभल की इस एतिहासिक धरोहर समेत संभल में ऐसी तमाम ऐतिहासिक धरोहर है जोकि संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रही हैं जबकि संभल के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 5 साल पूर्व संभल को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन 5 साल बाद भी संभल को ना तो पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए कोई कार्य ही किया गया न ही संभल की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए कोई प्रयास ही किए गए, संरक्षण के अभाव में संभल की सभी ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर हैं. 


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