अब यहां उठा `कश्मीर फाइल्स फिल्म` को लेकर विरोध, मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल ने की पाबंदी लगाने की मांग
मुत्ताहिदा मजलिए-ए-अमल के प्रवक्ता शेरशाह आलम ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म के जरिए षड्यंत्र के तहत सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने की कोशिश की जा रही है..... इस पर बैन लगना चाहिए..
नीना जैन/सहारनपुर: जिले में मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल के मौलानाओं ने द कश्मीर फाइल्स को लेकर आनंद नगर स्थित एक स्कूल में प्रेस कॉफ्रेंस बुलाई. जिसमें मौलानाओं ने कश्मीर फाइल्स फिल्म रिलीज करने पर खेद जताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण व हास्यपद राजनीति करार दिया. इसके साथ ही फिल्म पर बैन लगाने की मांग की गई.
सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश
मुत्ताहिदा मजलिए-ए-अमल के प्रवक्ता शेरशाह आलम ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म के जरिए षड्यंत्र के तहत सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने की कोशिश की जा रही है. आपसी भाईचारे को खत्म करने काम किया जा रहा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है. बता दें कि मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल, सहारनपुर की दीनी व समाजी तंजीमो और मदरसों,स्कूलों कॉलेजों और अन्य संगठनों संस्थानों का समन्वय है.
प्रेस वार्ता में मुत्ताहिदा मजालिस ए अमल के प्रवक्ता पीरज़ादा शेरशाह आजम, मौलाना अब्दुल मालिक मुकेसी जिला अध्यक्ष मिल्ली काउंसिल, मौलाना शाहिद मजाहिरी जिम्मेदार जमय्यत उलमा उत्तर प्रदेश, मौलाना अतहर हक्कानी, काजी नदीम अख्तर, ताजदार खान, एम जमाल असलम, मुफ्ती शरीफ खान, कारी सईद तिडफवी आदि ने भी संबोधित किया.
मुल्क के अंदर नफरत पैदा कर रही फिल्म
शेरशाह आज़म ने बताया कि कश्मीर फाइल्स के ऊपर जो फ़िल्म बनी है उसके लिए ये प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में संगठन की तरफ से कहा गया कि हमारा मुखालफ़ा है कि कश्मीर फाइल एक ऐसी मूवी है जो मुल्क के अंदर नफरत पैदा कर रही है. इस फिल्म पर फोरी तौर पर पाबंदी लगनी चाहिए. यहां की हुकूमत यह कहती है कि हकीकत सामने आनी चाहिए, तो फिर हकीकत बहुत सारी हैं. क्या फायदा है कि पुरानी भूली-बिसरी यादों को फिर से उठाया जाए. मनगढ़ंत कहानियां बनाकर लोगों के दरमियान छोड़ दी जाए. लोग एक-दूसरे से नफरत करेंगे और जब नफरत होगी तो झगड़े होंगे फसाद, मोब लिंचिंग होगी.
संगठन के प्रवक्ता का कहना है कि इस फिल्म में सारी तारीखों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. यहां पर खास नजरिए को जबरदस्ती लोगों पर थोपना चाहते हैं. अमन शांति इस तरह कायम नहीं रह सकती. हम चाहते हैं कि देश के अंदर लोग बहकावे में न आएं और ना एक दूसरे से नफरत करें. बल्कि हजारों साल उस पुरानी तहजीब को अपनाएं जो आपसी भाई-चारे का प्रतीक है.
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