पूजा मक्कड़/लखनऊ : आप जो दवा ले रहे हैं, वह असली है या नकली, अब ये QR कोड से पता चल सकेगा. केंद्र सरकार ने 300 दवाओं की पहचान की है जिनसे QR Code लगाने की शुरुआत की जाएगी. ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने फार्मा कंपनियों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं. Google lens या आपके मोबाइल फोन के स्कैनर से स्कैन करके आप जानकारी पा सकेंगे. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में संशोधन करते हुए दवा कंपनियों को अपने ब्रांड पर H2/QR लगाना अनिवार्य कर दिया है. भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने फार्मा कंपनियों को सख्त आदेश दिया है कि वो अपनी दवाओं पर बार कोड लगाएं.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

QR कोड लगाने से आप क्या क्या पता कर सकते हैं
दवा असली है या नकली?
मैन्युफैक्चरिंग किसने की है?
कच्चा माल कहां से आया है?
शुरुआत में ये व्यवस्था उन दवाओं पर लागू होगी जो आम लोग बहुत इस्तेमाल करते हैं
बुखार की दवा का मशहूर ब्रांड : डोलो  और काल्पोल
एलर्जी के इलाज का मशहूर ब्रांड : एलिग्रा
कैल्शियम सप्ललीमेंट - शेलकेल 
गर्भनिरोधक दवा अनवांटेड 72
और पेट‌ दर्द के इलाज की मेफ्टेल जैसी दवाओं के नाम शामिल हैं. 


यह भी पढ़ें: आशिक नसरुल्ला के पाकिस्तान गई अंजू पर मेहरबान हुई ISI,दुश्मन देश की कर रही खूब तारीफ


क्यूआर कोड लगाने का काम मैन्युफैक्चरिंग कंपनी करेगी. ये एक तरह का आइडेंटिफिकेशन कोड होगा. जिसमें दवा का प्रॉपर और जेनरिक नाम, ब्रांड और निर्माता का नाम और पता होगा. इससे दवा की  मैन्यूफैक्चरिंग डेट, और एक्सपायरी डेट भी पता चल सकेगी. आम तौर पर दवा की स्ट्रिप कटने के बाद एक्सपायरी डेट खो जाती है जिससे लोगों को दिक्कत होती है. नए नियम को एक अगस्त से लागू कर दिया गया है लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ऐसी दवाएं बाजार में नजर आने में थोड़ा समय लग जाएगा.हालही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने नकली दवाओं को लेकर सरकार की ओर से जीरो टॉलरेंस की बात कही गई थी. 


Watch: क्या उत्तरकाशी की इस गुफा में रहे थे पांडव, 2 साधुओं को मिले चौंकाने वाले प्रमाण