सैयद हुसैन अख्तर/रायबरेली: रायबरेली जैसे छोटे ज़िले के एक छात्र ने इतिहास रच दिया है. छात्र को पूरे राज्य में बाल वैज्ञानिक के तौर पर चुना गया है.  राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने वाले 19 प्रतिभागियों में उत्तर प्रदेश का यह छात्र इकलौता है. नैतिक अब केंद्र सरकार के खर्चे पर जापान की यात्रा कर तकनीकि नवाचार की बारीकियों से रूबरू होगा. 


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इंस्पायर मानक (मिलियन माइंड्स आगमेटिंग नेशनल एस्पिरेशन ऐंड नॉलेज) पुरस्कार देश भर के आठवीं से दसवीं तक के बच्चों के लिए प्रस्तावित है. दस से पन्द्रह आयु वर्ग के इन बच्चों को तीन स्तर पर प्रतिभाग करके बाल वैज्ञानिक पुरस्कार दिया जाता है. इसके लिए बच्चों को समाज से जुड़ी किसी भी समस्या से निपटने के लिए तकनीकि का इस्तेमाल कर मॉडल प्रस्तुत करना होता है.


प्रथम स्तर पर मॉडल की रूप रेखा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सामने प्रस्तुत करना होता है. मॉडल पास हो जाने के बाद किसी भी आईआईटी की देखरेख में इस मॉडल को मूर्त रूप देना होता है. जिसके लिए केंद्र सरकार 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देती है. राज्य स्तरीय इस प्रक्रिया के बाद मॉडल तैयार कर दिल्ली में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सामने इसका प्रेजेंटेशन देना होता है. यहां राष्ट्रीय स्तर पर मॉडल चयनित होने के बाद बाल वैज्ञानिक की संज्ञा से नवाजा जाता है. 


रायबरेली के नैतिक श्रीवास्तव ने कक्षा नौ में इस प्रतियोगिता में प्रवेश किया था. सभी स्तर पर स्थान बनाने के बाद उत्तर प्रदेश से इकलौते बाल वैज्ञानिक का खिताब हासिल करने वाले बन गए. राष्ट्रीय स्तर पर कुल 19 मॉडल पहुंचे थे. 


नैतिक श्रीवस्तव ने दृष्टि बाधित लोगों के लिए ऐसा चश्मा बनाया है, जो चार काम करता है. पहला यह कि एक मीटर के दायरे में आने वाले किसी भी अवरोध को जान लेगा. दूसरा यदि इसी दायरे में आने वाला कोई भी व्यक्ति जो पहले उससे मिल चुका है, उसका नाम पता चल जाएगा. तीसरा कोई खतरा होने पर उसे जानकारी मिल सकेगी. चौथा और अंतिम फीचर इस चश्मे का पैनिक बटन से जुड़ा है. किसी भी ज़रूरत के समय पैनिक बटन के माध्यम से दृष्टि बाधित अपनों को जानकारी भेज सकेगा. 


नैतिक श्रीवास्तव के मुताबिक यह मॉडल ऑडियो विजुअल पद्यति पर काम करता है. इसकी मेमोरी में फीड यह सभी जानकारी सेंसर के माध्यम से इस डिवाइस में पहुंचती है. जहां इसे ऑडियो फॉर्म में बदल कर दृष्टि बाधित के कान में लगे इयर फोन के माध्यम से सुना देता है. नैतिक के मुताबिक यह आइडिया उसे अपने किसी दृष्टि बाधित बुज़ुर्ग रिश्तेदार को देखकर आया था. उनके साथ उनकी पत्नी होती थीं जो सभी बातें उन्हें बताती चलती थीं. नैतिक को लगा अगर कभी उनकी पत्नी साथ न हुईं तो बुज़ुर्ग को जानकारी कौन देगा. बस यहीं से नैतिक ने अपने कंप्यूटर टीचर के सहयोग से इस मॉडल को तैयार किया. 


इस मॉडल को बनाने में सहयोग करने वाले नैतिक के कम्प्यूटर टीचर के मुताबिक इस अवॉर्ड को हासिल करने के लिए कई स्तरीय कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. यह मॉडल तैयार हो गया है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसे व्यवसायिक स्तर पर उत्पादित करने के लिए कोई आगे आएगा. वहीं न्यू स्टैंडर्ड पब्लिक स्कूल के प्रबंधक इसे पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात कहते कहते हुए बताते हैं कि आने वाला समय इलेक्ट्रॉनिक्स का ही है. यही वजह है कि हम लोग कम्प्यूटर और रोबोटिक साइंस पर ज़्यादा फोकस्ड हैं. 


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