लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं राजनीतिक पार्टियों का अस्त्र-शस्त्र बन गई हैं. यूपी के चुनावी समर में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी अपना खोया जनाधार वापस पाने की जद्दोजहद में लगे हैं, लेकिन इनकी मौजूदगी का असर जमीन पर न​हीं दिख रहा.


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अब भारत में चुनाव में हो खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में और जाति-मजहब की बात न उठे ये भला हो सकता है क्या. इस चुनाव को भी मंडल और कमंडल की लड़ाई कहा जाने लगा है. भाजपा जहां खुद को बहुसंख्यकों का हितैषी बताने में लगी है, वहीं सपा अल्पसंख्यकों को साधते हुए चुनाव को अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाने की कोशिश में लगी है. 


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बीते दिनों योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य समेत तीनों मंत्रियों ने दलितों, पिछड़ों की अवहेलना का आरोप लगाकर भाजपा छोड़ दिया और अखिलेश की साइकिल पर सवार हो गए. इस पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के सुप्रसिद्ध महाकाव्य 'रश्मिरथी' की कुछ पंक्तियों के सहारे भाजपा छोड़ने वाले ओबीसी नेताओं पर सियासी वार किया.


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समाजवादी पार्टी ने भी दिनकर की कविताओं से पलटवार किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल पर रामधारी सिंह दिनकर रचित 'रश्मिरथी' की पंक्तियां ट्वीट करते हुए लिखा, ''पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर, 'जाति-जाति' का शोर मचाते केवल कायर क्रूर.''



समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 'रश्मिरथी' की पंक्तियों के जरिए ही सीएम योगी पर पलटवार किया, "ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले, शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले."



सपा के पलटवार के बाद भाजपा यूपी के आधिकारिक हैंडल से दिनकर की 'रश्मिरथी' की ही पक्तियां ट्वीट की गईं. भाजपा की ओर से लिखा गया, ''तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के. हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक.'' इसके जवाब में सपा ने 'रश्मिरथी' की पंक्तियां उद्धृत की, ''जाति-जाति रटते, जिनकी पूंजी केवल पाखंड, मैं क्या जानूं जाति? जाति हैं ये मेरे भुजदंड!''



इसके साथ समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की मशहूर कविता की पंक्तियां भी उद्धृत की, ''जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है। हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.'' 



यूपी में अभी चुनाव की बस शुरुआत ही हुई है. सात चरणों में संपन्न होने वाला उत्तर प्रदेश जैसे जैसे आगे बढ़ेगा, भाजपा और सपा के बीच सोशल मीडिया का युद्ध और दिलचस्प होगा, इसकी पूरी उम्मीद की जा सकती है.


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