Rampur Upchunav 2022 : रामपुर : उत्तर प्रदेश के रामपुर विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें हैं. रामपुर सीट को करीब पांच दशकों से समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां का अभेद्य किला माना जाता है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों को अपने पाले में खींचकर रामपुर लोकसभा उपचुनाव कर करिश्मा करने की सोच रही है.गरीब मुस्लिमों यानी पसमांदा समाज के कल्याण को ध्यान में रखकर बीजेपी कई जगह सम्मेलन भी कर चुकी है. बीजेपी ने रणनीतिक तरीके से आजम खां के चिर प्रतिद्वंद्वी आकाश सक्सेना को चुनाव मैदान में उतारा है. आकाश ने ही आजम के खिलाफ तमाम मुकदमे दर्ज कराए हैं, जिनके चलते उन्हें एक केस में सजा भी हुई.


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हेट स्पीच के मामले में आजम को 3 साल की सजा के बाद उनकी विधायकी जाने के कारण ही इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. रामपुर विधानसभा सीट पर 3 लाख 88 हजार मतदाता हैं. इनमें से लगभग 2 लाख 27 हजार यानी लगभग 60 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. मुस्लिमों में भी लगभग 80 हजार पठान, 18 हजार सैयद और 12 हजार तुर्क वोटरों को छोड़ दें तो 1 लाख 17 हजार मतदाता पसमांदा समाज यानी पिछड़े वर्ग के हैं. बीजेपी इसी धड़े को पार्टी के पाले में लाने में जुटी है. मुसलमानों का यही वर्ग सरकारी योजनाओं का सबसे बड़ा लाभार्थी है. यह तबका कई पीढ़ियों से आजम का समर्थक रहा है.


 



यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि आजम खां ने रामपुर के मुस्लिम समाज की बेहतरी के लिए कुछ भी नहीं किया. खुद भी पसमांदा समाज से जुड़े अंसारी रामपुर में डटे हैं. रामपुर के पसमांदा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अंसारी धुआंधार तरीके से प्रचार कर रहे हैं. अंसारी ने कहा कि पसमांदा मुसलमान जान गए हैं कि बीजेपी सरकार में ही उन्हें तमाम कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है. इस बार बीजेपी पसमांदा मुस्लिमों के सहारे रामपुर में विजय पताका फहराएगी. बीजेपी ने 12 नवंबर 2022 को अल्पसंख्यक पसमांदा सम्मेलन आयोजित किया था.


बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और रामपुर के पूर्व सांसद मुख्तार अब्बास नकवी को भी मुस्लिमों तक पहुंच बनाने के लिए मैदान में उतारा है. वो पसमांदा बाहुल्य क्षेत्रों में खिचड़ी पंचायत कर माहौल बना रहे हैं. पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय महासचिव अंजुम अली का कहना है कि रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पसमांदा का एक धड़ा आजम का साथ छोड़ सकता है, जो उनसे बहुत नाराज है. लेकिन बड़ा उलटफेर की संभावना नहीं दिखती. ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन कहते हैं कि आजम ने पसमांदा मुसलमानों को नवाबों का भय दिखाते हुए वोट बैंक खड़ा किया लेकिन सत्ता में आते ही खुद नवाबी अंदाज में जीने लगे.


मुस्लिम यादव वोटबैंक से 4 बार सत्ता में आ चुकी सपा या आजम ने पसमांदा मुसलमानों के कोई बड़ा काम नहीं किया. पसमांदा मुसलमानों को कभी बड़ा ओहदा नहीं दिया.राजनीतिक विश्लेषक फजल शाह फजल ने कहा कि आजम ने रामपुर के पसमांदा मुसलमानों में ध्रुवीकरण किया जैसे कभी बसपा नेता कांशीराम और मायावती ने किया था. आजम ने दबे कुचले मुसलमानों को रामपुर के नवाब परिवार के खिलाफ लामबंद किया. यही वजह है कि जनता ने आजम को 10 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा तक पहुंचाया. रामपुर लोकसभा उपचुनाव हार चुके आसिम राजा को विधानसभा में भी प्रत्याशी बनाए जाने से भी नाराजगी है. 


 


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