Char Dham Yatra: केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर से हुआ 101.34 करोड़ का कारोबार, 46 लाख यात्री पहुंचे
दुनिया भर में प्रसिद्ध चार धाम की यात्रा में इस साल रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं. यहां सिर्फ श्रद्धालुओं के लाने ले जाने से जुड़ी सेवाओं ने 211 करोड़ का कारोबार किया है. यही वजह है कि चारधाम यात्रा को उत्तराखंड के इकोनॉमी की लाइफलाइन कहा जाता है.
देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर है. बाबा केदार के कपाट गुरुवार 27 अक्टूबर को विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इसके अलावा यमनोत्री के कपाट भी विधिविधान से बंद कर दिए गए. चारधाम यात्रा ने इस वर्ष तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में सिर्फ घोड़ा खच्चरों, हेली टिकट और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ के आस- पास कारोबार हुआ है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि यात्रा से स्थानीय लोगों की आजीविका में वृद्धि हो और आय के साधन और बढ़ें. इसके लिए सरकार हर स्तर पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की. पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आंकड़ा है. वहीं केदारनाथ धाम की अकेले बात की जाए तो यहां 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए. आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को भी यात्रा साकार करती है.चारधाम यात्रा प्रदेश की इकोनॉमी की लाइफलाइन है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के विजन के मुताबिक केदारनाथ (Kedarnath) व बदरीनाथ (Badrinath) धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है.
केदारनाथ में 190 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार
इस साल केदारनाथ यात्रा स्थानीय कारोबारी के लिए काफी बेहतर रही. सिर्फ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ का कारोबार हुआ है. केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने लगभग 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपये का रिकॉर्ड कारोबार किया. इससे सरकार को भी 8 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व मिला. यात्रा आसान बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे. इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की. वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपये की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपये का कारोबार किया. इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ. यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है. यमनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं , जिला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है. यह आंकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ है.
पर्यटन गतिविधियों में तेजी
इसके अलावा चारधाम यात्रा में यात्रा मार्ग के सभी होटल / होमस्टे, लॉज और धर्मशालाएं भी पिछले छह महीने तक बुक रहीं. पिछले सालों तक गढ़वाल मंडल विकास निगम जहां आर्थिक नुकसान झेल रहा था, इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है. GMVN के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक यह आंकड़ा 50 करोड़ तक जाने का अनुमान है. इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है.
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देवभूमि से पीएम ने किया था आह्वान
प्रधानमंत्री ने 21 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम स्थित माणा गांव में वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आह्वान किया था कि जहां भी जाएं, एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करेंगे. इससे सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जाएगी कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते. ऐसे में अब भविष्य को देखते हुए चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. गौरीकुण्ड-केदारनाथ व गोविंदघाट-हेमकुण्ट साहित्य रोपवे परियोजनाओं का भी प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था. इनके बनने से श्रद्धालुओं की घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी होगी.