Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है.  इस दिन बिना पानी पिए व्रत किया जाता है. हिंदू पंचांग के मुतबिक निर्जला एकादशी का व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत की महिमा को महाभारत काल में वेदव्यास जी ने भीम को बताया था.  इस एकादशी को पांडव एकादशी और भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.


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क्या है निर्जला एकादशी का अर्थ?
जैसा की नाम से ही साफ है कि इस व्रत में जल का त्याग किया जाता है. अर्थाथ बिना पानी के रहना.  इस दिन व्रत करने वाले पूरा दिन जल ग्रहण नहीं करते हैं.


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निर्जला एकादशी व्रत में क्या न करें?


मांस-मदिरा का सेवन न करें
इस दिन मांस, ​मदिरा, तामसिक भोज्य पदार्थों का सेवन न करे. इस दिन किसी भी तरह का मादक पदार्थ का सेवन न करें.


व्रत में पानी तक पीना वर्जित 
निर्जला एकादशी व्रत में सुबह से लेकर और व्रत खुलने तक पानी नहीं पिया जाता है. इस दिन पानी पीना वर्जित होता है. अगर आपको हेल्थ से जुड़ी कोई परेशानी है तो निर्जला एकादशी व्रत न करें.


किसी से बुरा बर्ताव न करें
निर्जला एकादशी के दिन मन में किसी के प्रति द्वेष, घृणा, क्रोध न रखें. किसी से बुरा बर्ताव न करें. व्रत के दिन काम, मोह, लालच जैसी बुरी आदतों से दूर रहें और भगवान की भक्ति में मन लगाएं. व्रत के दिन झूठ नहीं बोलें. किसी को अपशब्‍द नहीं कहें.


नहीं खाना चाहिए नमक
इस व्रत में पानी तक नहीं पीना चाहिए लेकिन ऐसा संभव न हो तो फल आदि ले सकते हैं. लेकिन नमक का सेवन बिल्‍कुल नहीं करें. 


पूजा में चावल का इस्तेमाल न करें
निर्जला एकादशी व्रत के दिन भगवान की पूजा में चावल (अक्षत) का इस्तेमाल करने की मनाही होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करें तो ये अच्छा होगा. इसके अलावा इस दिन चावल भी नहीं खाने चाहिए.


निर्जला एकादशी 2022 तारीख: 10 जून-दिन शुक्रवार
निर्जला एकादशी 2022 तिथि प्रारंभ: 10 जून- सुबह 07:25 मिनट से
निर्जला एकादशी व्रत 2022 तिथि: 11 जून, दिन शुक्रवार 
निर्जला एकादशी 2022 तिथि समापन : 11 जून को शाम 5.45 बजे तक


निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य देता है. इस व्रत को करने से मोक्ष मिलता है. समस्त पापों का नाश होता है.  इस व्रत में गोदान, वस्त्र दान, फल व भोजन दान का काफी महत्व होता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी मान्यता पर अमल करने से संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.) 


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