सैयद हुसैन अख्तर/रायबरेली: रायबरेली में तीन साल पहले खाद्य विभाग ने कुछ मसालों के नमूने जांच के लिए एकत्र किए थे. इनकी जांच रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है. जांच के बाद सामने आया कि यह वह मसाला है जो एक्सपायर होने के चलते नष्ट किया जाना था. काले कारोबारी इन मसालों को नष्ट करने की जगह बीच के कर्मचारियों से मिलकर इन्हें इकट्ठा करके बेच देते थे. यही एक्सपायरी मसाला उस वक्त खाद्य विभाग के उस वक्त निशाने पर आ गया जब इसे लखनऊ से प्रयागराज भेजा जा रहा था.


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प्रयागराज का व्यापारी इसे रिपैक करके फिर से मार्केट में नई एक्सपायरी डेट के साथ सप्लाई कर देता था. दरअसल दो हजार अट्ठारह में यहां के गंगागंज में लखनऊ से प्रयागराज जा रही यूटिलिटी वाहन पर लदे मासालों का एफएसडीए की मोबाइल यूनिट ने तीन मासालों के नमूने लिए थे. इनमें ड्राई चिली मसाला,ड्राई चिली टोमैटो और मैगी मसाला को पॉलिथीन के बड़े बड़े बैग्स में लूज भरकर भेजा जा रहा था. 


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इन मासालों की जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि यह पैक्ड मसाले हैं जो एक्सपायर होने के बाद नष्ट करने के लिए इकठ्ठा किये गए थे. लखनऊ के व्यापारी कंपनी कर्मचारियों से सांठगांठ कर इसे हासिल कर प्रयागराज भेजते थे. यहां नामी ब्रांड के नकली पैक में इन्हें भरकर नई एक्सपायरी डेट के साथ बाजार में सप्लाई कर दिया जाता था. जांच रिपोर्ट आने के बाद इस पूरे धंधे में शामिल व्यापारियों पर एफएसडीए ने 15 लाख का जुर्माना लगाया है. हालांकि सवाल यह है कि खाद्य मसालों में मिलावट की घटना का खुलासा होने में तीन साल का वक्त कैसे लग गया. ऐसे लोगों पर जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होगी, लोगों की सेहत से खिलवाड़ जारी रहेगी.