सुनील सिंह/संभल: स्वतंत्रता मिलने के आजाद भारत में 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया. इसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं. इस बार देश 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. देश की आजादी के लिए न जाने कितने लोगों ने अपने जान की बाजी लगा दी. उनमें संभल जिले के लाल क्रांतिकारी जगदीश नारायण का नाम भी शामिल है. देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराने के लड़ी गई लड़ाई में चंदौसी के क्रांतिकारी जगदीश नारायण सक्सेना ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी.


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क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता है संभल
आपको बता दें कि संभल को क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता है. उस समय संभल के क्रांतिकारियों में जगदीश नारायण सक्सेना सबसे कम उम्र के थे. देश की आजादी के लिए वो साल 1933 से देश की आजादी तक 4 बार जेल गए. उनसे जुड़ा एक प्रसंग बहुत प्रचलित है. साल 1937 में मुरादाबाद कारागार में जेल की सजा के दौरान उनकी अंग्रेज कलेक्टर से झड़प हो गई. इस दौरान अंग्रेज कलक्टर हार्ड डी के मुंह पर जगदीश नारायण सक्सेना ने थूक दिया था. इसके बाद अंग्रेज कलेक्टर ने उन्हें 14 बेंत मारने का हुक्म दिया. इस सजा के बाद उनके हाथ पैर में बेडियां डालकर, उन्हें तन्हाई जेल में बंद कर दिया गया था.


कोई स्मारक या सड़क तक नहीं बनी
अफसोस की बात ये है की देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले क्रांतिकारी जगदीश नारायण सक्सेना और उनके साथी क्रांतिकारियों के योगदान मानो भुला दिया गया हो. ऐसा इसलिए क्योंकि क्रांतिकारियों का गढ़ संभल में इन क्रांतिकारियों के नाम पर कोई स्मारक या सड़क तक नहीं बनी है. जानकारी के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण के परिजन बीते कई सालों से उनके नाम पर पर चंदोसी में एक चौक रखे जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से चौराहे का नाम सेनानी चौक रखे जाने को लेकर भी कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.


क्रांतिकारियों का है महत्वपूर्ण योगदान
आपको बता दें कि देश की आजादी के लिए असंख्य क्रांतिकारियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. अंग्रेजी हुकूमत और गुलामी से आजादी दिलाने के लिए संभल जनपद के क्रांतिकारियों ने भी देश की आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़कर भागेदारी की और अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए. संभल जनपद के लगभग 500 से अधिक क्रांतिकारियों ने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई थी. चंदोसी के स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण सक्सेना के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.


दरअसल, स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण सक्सेना ने अपने साथियों के साथ अंग्रेज अफसर को पकड़ कर उसे घास की रोटी भी खिलाई थी. इसके बाद अंग्रेज कलेक्टर हार्ड डी ने जगदीश नारायण सक्सेना और उनके साथियों की गिरफ्तारी करने के लिए अपनी ताकत झोंक दी. एक दिन अंग्रेज कलेक्टर को सूचना मिली की जगदीश अपने साथियों के साथ गुमथल गांव में मौजूद है. इसके बाद अंग्रेज कलेक्टर ने गांव की घेराबंदी कराई और गांव के चारों तरफ आग लगवा दी. बावजूद इसके जगदीश नारायण अंग्रेज सिपाहियों को चकमा देकर वहां से निकल गए थे. ऐसे तमाम किस्से हैं, जो की आज भी लोगों की जुबान पर हैं.


आपको बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण सक्सेना का निधन साल 2011 में हुआ था. उनके पुत्र आलोक सक्सेना सरकार और प्रशासन से स्वतंत्रता सेनानी पिता की स्मृति में चंदोसी का एक चौक 'सेनानी चौक' रखने की लगातार मांग कर रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि 500 से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ संभल में कोई भी भवन, स्मारक और सड़क स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर नहीं है. अब देखना ये है कि सरकार और प्रशान इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं.