Saharanpur: यूट्यूब से ली चोरी करने की ट्रेनिंग, ताबड़तोड़ चोरी की वारदात से उड़ाई पुलिस की नींद, ऐसे हुए गिरफ्तार
Saharanpur News: यूट्यूब से चोरी करने का तरीका सीखकर चोर एक के बाद एक वारदात को अंजाम देकर पुलिस की नींद उड़ा डाले. ये चोर ऐसे पुलिस की गिरफ्त में आए...
नीना जैन/सहारनपुर: यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसका इस्तेमाल लगभग सभी लोग करते हैं. इसका इस्तेमाल कोई इंजीनियर, डॉक्टर या कोई खास तकनीक सीखने के लिए करता है. इस बीच यूट्यूब से सीखकर चोरी करने का मामला सहारनपुर में सामने आया है. दरअसल, यूट्यूब से काटने का हुनर सीख एक व्यक्ति ने अपना गिरोह बना डाला. इस गिरोह की मदद से उसने एक दो नहीं बल्कि एक दर्जन से ज्यादा चोरी की वारदात को अंजाम दे डाला. आइए बताते हैं पूरा मामला.
जानकारी के मुताबिक ये चोर एक रात में तीन-तीन शटल में 5 से 10 मिनट में चोरी की घटना को बखूबी अंजाम देते थे. फिलहाल, ये शातिर चोर गिरोह के तीन साथियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है. इसके तीनों साथी अलग-अलग मामलों में जेल में जा चुके हैं. ये बात भी सामने आ रही है कि जेल में ही इनका ग्रुप बना.
आपको बता दें कि लगातार शटर काटकर दुकानों में हो रही चोरी ने पुलिस की रातों की नींद उड़ा दी थी. पिछले कई दिनों से पुलिस लगातार उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस दबिस दे रही थी, लेकिन सफलता नहीं मिली. यह चोर सीसीटीवी कैमरे में भी नहीं दिखते थे. मास्क पहने चोरों को पहचानना मुश्किल था. जानकारी के मुताबिक सभी मोबाइल स्विच ऑफ कर वारदात को अंजाम दिया था. इसके बाद वह कपड़े बदल लेते थे, इस वजह से पुलिस ने इन तक पहुंच नहीं पाती थी.
बता दें कि इस गिरोह का सरगना कोई और नहीं बल्कि 52 लाख की चोरी में जेल जाने वाला पंकज पुत्र फूल सिंह निवासी मातागढ़ निकट पुराना चिलकाना थाना मंडी सहारनपुर निकला. इसके बाद पुलिस ने एक के बाद एक उसके साथी अंकित पुत्र सोमपाल निवासी मोहल्ला महादान कस्बा थाना तीतरों सहारनपुर, अभिषेक पुत्र कमर पाल निवासी मोहल्ला कानूनगो सहारनपुर, आशीष कुमार पुत्र परवीन निवासी ग्राम अब्दुल्लापुर थाना चिलकाना सहारनपुर को धर दबोचा.
एसपी सिटी ने दी जानकारी
इस मामले में एसपी सिटी अभिमन्यु मांगलिक ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इन्होंने यूट्यूब से शटर उखाड़ने का तरीका सिखा. ये 5 से 10 मिनट में एक- दो नहीं तीन-तीन दुकानों के शटर उखाड़ देते थे. वह भी बिना किसी औजार के, ये बाकायदा दुकानों की रेकी करते थे. शाम के समय दुकानदारों को पैसे गिनते हुए अंदाजा लगा लेते थे कि किस दुकान में पैसा ज्यादा होगा. उसके बाद उन्हीं दुकानों में चोरी की घटना को अंजाम देते थे. इतना ही नहीं वह अपने मोबाइल पूरी तरह बंद रखते थे. यह मोबाइल कई दिनों तक बंद रखते थे, ताकि पुलिस सर्विलांस इन्हें ढूंढ ना सके. ये वारदात को अंजाम देने के बाद अपने कपड़े बदल लेते थे. यह वारदात को सुबह 6 से 8 तक अंजाम देते थे.
उन्होंने यह समय इसलिए चुना था कि पुलिस की ड्यूटी बदलती थी. जब तक दूसरी पाली के पुलिसकर्मी पहुंचकर ड्यूटी देते, उस समय तक पुलिस वहां मौजूद नहीं रहती थी. इससे बड़ी आसानी से ये चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे. इनके पास से नाजायज तमंचा, कारतूस, चाकू, लोहे की रॉड, एक्टिवा और 64000 रूपये नगद बरामद हुए हैं. अलग-अलग मामलों यह सभी जेल में थे. जेल में ही इनकी मुलाकात हुई थी. इसके बाद इन्होंने अपना गिरोह बनाकर इन वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया.
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