कौन हैं साकेत मिश्रा, पूर्वांचल में नए ब्राह्मण चेहरे तलाश रही बीजेपी ने बनाया विधानपरिषद सदस्य
UP MLC Elections Saket Mishra : रजनीकांत माहेश्वरी, साकेत मिश्रा, लालजी प्रसाद निर्मल, तारिक मंसूरी, रामसुभग राजभर और हंसराज विश्वकर्मा के नामों पर राज्यपाल ने लगाई मुहर. योगी सरकार ने राजभवन भेजा था प्रस्ताव.
Saket Mishra News : यूपी सरकार ने विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने के लिए राज्यपाल को 6 नामों के प्रस्ताव भेजे थे. सोमवार को राज्यपाल की ओर से इन नामों पर मंजूरी दे दी गई. इसके बाद 6 सदस्यों को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर दिया गया. इसमें रजनीकांत माहेश्वरी (पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष, ब्रज भाजपा), साकेत मिश्रा ( पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य, नृपेंद्र मिश्र के पुत्र), लालजी प्रसाद निर्मल ( (अंबेडकर महासभा), तारिक मंसूरी (वीसी एएमयू), रामसुभग राजभर (अधिवक्ता, आजमगढ़) और हंसराज विश्वकर्मा (भाजपा जिलाध्यक्ष, काशी) का नाम शामिल है.
साकेत मिश्रा सिविल सेवा छोड़कर राजनीति के क्षेत्र में थे. साकेत ने कई दिग्गज वैश्विक बैंकों में भी काम किया. साकेत मिश्रा पीएमओ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के पुत्र हैं. पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त उन्हें श्रावस्ती लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की तैयारी भी थी. अब विधानपरिषद के माध्यम से उनका राजनीतिक ओहदा बढ़ाने की तैयारी है.
देवरिया से ताल्लुक साकेत
साकेत मिश्र उत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के निवासी हैं. उनका पैतृक गांव कासिली है, लेकिन उनका ननिहाल श्रावस्ती में है. साकेत के पिता नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के आईएएस रहे और प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचे. साकेत के नाना पंडित बदलूराम शुक्ला बहराइच से 1971 में कांग्रेस सांसद चुने गए थे.
दिल्ली से पढ़ाई
साकेत का जन्म भले ही यूपी में हुआ हो, लेकिन पढ़ाई इनकी दिल्ली से हुई. सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक के बाद वो मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए आईआईएम कोलकाता में एडमिशन लिया. फिर उनका चयन लोकसेवा आय़ोग में हो गया. वर्ष 1994 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर साकेत मिश्रा आईपीएस बने, लेकिन जल्द ही प्रशासनिक सेवा से उनका मोहभंग हो गया.
वैश्विक बैंकों में नौकरी
साकेत मिश्रा ने कई वैश्विक बैंकों में नौकरी की.जर्मनी के ड्यूस बैंक के साथ उन्होंने 6 इंटरनेशनल बैंक में नौकरी की. फिर राजनीति की ओर रुख किया. श्रावस्ती में लोकसभा चुनाव के संकेतों के वक्त उन्होंने करीब सौ रैलियां की थीं. अब उन्हें विधानपरिषद भेजा जा रहा है.
ब्राह्मण वोट बैंक पर नजर
साकेत मिश्रा को विधानपरिषद लाकर बीजेपी की नजर पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण वोटबैंक पर है. शिव प्रताप शुक्ला, कलराज मिश्र जैसे दिग्गज नेताओं के राज्यपाल बनने और सक्रिय राजनीति से दूरी के बाद बीजेपी युवा बड़े ब्राह्मण चेहरों को तलाश रही है. गोरखपुर विधायक मृत्युंजय त्रिपाठी के बाद साकेत मिश्रा जैसे नेता इसी कवायद का हिस्सा हैं. श्रावस्ती से लेकर देवरिया तक साकेत मिश्रा के परिवार का प्रभाव रहा है. पूर्वांचल में पूरी ताकत झोंकने वाली बीजेपी ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर कोई जोखिम नहीं मोल लेना चाहती.
पिछले साल से 6 सीटें थीं खाली
बता दें कि पिछले साल जून से विधान परिषद में मनोनयन कोटे की 6 सीटें खाली थीं. सीटों को भरने के लिए कई बार संगठन और सरकार के स्तर पर प्रयास किया गया, लेकिन नाम तय न होने के कारण ये रिक्त चल रहे थे. हाल ही में निकाय चुनावों की आरक्षण सूची जारी होने के बाद गहमागहमी तेज हो गई.
दलित वोटों को साधने की कोशिश
इसी बीच यूपी सरकार ने रिक्त सीटों के लिए नाम तय कर राजभवन को भेज दिए थे. राजभवन ने इस पर मुहर लगा दी है. बता दें कि लालजी प्रसाद निर्मल दलित वर्ग से आते हैं और मौजूदा समय में अंबेडकर महासभा के कर्ता-धर्ता होने के साथ अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं. ऐसे में उन्हें विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर भाजपा दलित वोटों को साधने में लगी है.
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