अंकित मित्तल/मुज़फ्फरनगर: पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक अपने आतंक का डंका बजाने वाला कुख्यात माफिया सरगना संजीव माहेश्वरी कभी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा का सपना रखता था. चिकित्सा की राह पर निकलकर एक डॉक्टर के यहां कम्पाउंडर बन गया. चिकित्सक द्वारा जो दवाई पर्चे पर लिखी जाती उन दवाई की पुड़िया बनाकर मरीजों को देता. जिस डॉक्टर के यहां संजीव नौकरी किया करता था, उसके किसी व्यक्ति के पास रुपये फंसे थे, बार-बार मांगने पर भी वो वापस नहीं लौटा रहा था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डॉक्टर ने संजीव को उस व्यक्ति के पास पैसे के तकादे के लिए भेज दिया. संजीव ने जाकर पैसों का तकादा किया तो उसने तुरंत चिकित्सक के रुपये संजीव को लौटा दिए. संजीव ने जैसे ही चिकित्सक को ले जाकर रुपये दिए तो चिकित्सक आश्चचर्याचकित हो गया और संजीव को तुरंत इनाम दिया. 


शुरू कर दी रंगदारी की चिट्ठी लिखना
संजीव का हौसला इतना बढ़ा कि संजीव जिस डॉक्टर के यहां नौकरी किया करता था. उसी का अपहरण कर लिया और मांग ली मोटी रकम की फिरौती. चिकित्सक के परिवारवालों ने संजीव को फिरौती देकर चिकित्सक को छुड़ा लिया.लेकिन संजीव माहेश्वरी चिकित्सा की डगर से अपराध की डगर पर जब चला तो उसने दवाई के पर्चे लिखने के सपने को चकनाचूर कर रंगदारी की चिट्टी लिखनी शुरू कर दी.


अपहरण के बाद मांगी 2 करोड़ की फिरौती
संजीव माहेश्वरी उर्फ़ जीवा ने उसके बाद कोलकाता के उद्यमी राजू दीवान के बेटे प्रतीक दीवान का देहरादून से दिल्ली जाते समय अपहरण कर अपराध की दुनिया मे अपने गैंग की एंट्री की. प्रतीक दीवान को छोड़ने की एवज मे 2 करोड़ की फिरौती मांग ली. जिसको लेकर पुलिस विभाग मे हड़कंप मच  गया. 90 के दशक मे इस अपहरण की गूंज दिल्ली से लेकर लखनऊ तक पहुंची थी. हालांकि पुलिस ने प्रतीक को सकुशल बरामद कर लिया.


मुख्तार गैंग में एंट्री
संजीव माहेश्वरी को अपराध की दुनिया मे बड़ा नाम कमाने का चस्का लगा तो उसने पश्चिमी के साथ साथ पूर्वांचल में अपनी पकड़ बनानी शुरू की और मुख़्तार अंसारी गैंग मे एंट्री कर ली. जिसके बाद उसने एक के बाद एक अपराध कर अपना नाम अपराध की दुनिया मे कायम कर दिया.


बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोलियों से भूनकर हत्या 
संजीव माहेश्वरी उस समय बड़ी चर्चा मे आया जब उसने बसपा सुप्रीमो मायावती के गेस्ट हॉउस कांड के दौरान मायावती की मदद करने वाले भाजपा के दिग्गज नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. उस समय के भाजपा के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी उनके घर फर्रुखाबाद पहुंचे थे. जिसके बाद संजीव जीवा का सिक्का पूर्वांचल मे भी चलने लगा था . 


मुख्तार अंसारी के शूटर मुन्ना बजरंगी से दोस्ती
संजीव जीवा की दोस्ती मुख़्तार अंसारी के खास माने जाने वाले शूटर मुन्ना बजरंगी से हुई. ये दोस्ती ऐसी परवान चढ़ी की विधायक कृष्णानंद राय की एक प्रोग्राम से लौटते  समय कार सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी. विधायक समेत 7 लोगों की इस कांड मे जान गयी थी. इस मामले मे भी संजीव जीवा  मुन्ना बजरंगी समेत कई लोगों का नाम आया था. जिसके बाद संजीव जीवा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. संजीव जीवा पर एक के बाद एक केस लदते चले संजीव जीवा ने अपना नेटवर्क पूरे यूपी मे खड़ा कर लिया और जेल से ही बैठकर अपने गैंग को ऑपरेट करने लगा.


संजीव जीवा की मुंबई एंट्री से सकते मे आ गए थे बड़े-बड़े बदमाश
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की सम्पत्ति की नीलामी रखी गयी थी. जिस पर कोई भी उस नीलामी मे भाग नहीं ले रहा था तो संजीव जीवा अपने अपराध की दुनिया के साथी रवि प्रकाश के साथ मुंबई पहुंच गया और अपना नाम नीलामी के बोलीदाताओं में लिखवा दिया. अधिकारियों ने जानकारी निकाली और तो यूपी पुलिस ने दोनों को मुंबई से ही गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन दिनों संजीव जीवा व रवि प्रकाश कई मामलों में फरार चल रहे थे.


मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद जीवा को सताने लगा था हत्या का डर
मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल मे गोलियों से भूनकर हत्या के बाद संजीव जीवा को भी लगातार अपनी हत्या का डर सताने लगा था. जिसको लेकर उसने मुज़फ्फरनगर पेशी पर आने मे आनाकानी शुरू कर दी थी. साथ ही संजीव जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने चीफ जस्टिस को प्रार्थना पत्र लिखकर अपने पति की सुरक्षा की गुहार लगाई थी. 


संजीव जीवा की थी राजनैतिक महत्वकांक्षा
संजीव जीवा अपराध की दुनिया मे नाम कमाने के बाद राजनीती की चासनी का भी स्वाद चखना चाहता था. जिसको लेकर उसने अपनी पत्नी पायल माहेश्वरी को राजनीति मे उतारा था. राजनीती मे आने के बाद पायल माहेश्वरी ने रालोद का दामन थामा और 2017 मे रालोद के सिम्बल पर सदर विधानसभा सीट पर विधायक का चुनाव लड़ी लेकिन जिस तरीके के प्रदर्शन की उम्मीद थी  ऐसा हो ना पाया और चुनाव हार गयी.


पहले भी भरी कोर्ट मे हो चुकी है हत्या
कुख्यात माफिया संजीव जीवा की ही हत्या नहीं हुई है. इससे पहले भी कुख्यात के खून से कोर्ट का कटघरा लाल हो चुका है. 16 फरवरी 2015 मे कुख्यात बदमाश विक्की त्यागी की भी मुज़फ्फरनगर कोर्ट रूम मे ही गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया था और हत्यारोपी ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था. 


20 लाख में हुआ संजीव जीवा का खेल खल्लास, शूटर ने उगला बड़े माफिया का नाम


शामली में गैंगस्टर संजीव जीवा के गांव वालों ने सुनाई सीधे साधे लड़के की क्रिमिनल बनने की कहानी


 


WATCH: गैंगस्टर संजीव जीवा के शूटआउट की वजह सामने आई, दी गई थी 20 लाख की सुपारी