Gorakhpur Jharkhandi Mahadev Mandir: विनय सिंह/गोरखपुर: श्रावण मास तथा श्रवण नक्षत्र से भगवान शिव का गहरा संबंध है. इस महीने में भक्तगण शिव की आराधना में लीन होकर प्रतिदिन जलार्पण का संकल्प लेते हैं. वहीं, गोरखपुर का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ खुद प्रकट हुए थे. शहर में स्थित झारखंडी महादेव मंदिर की कहानी बड़ी रोचक है. 


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क्या है पौराणिक कथा? 
झारखंडी महादेव मंदिर के पुजारी रामनाथ गोस्वामी बताते हैं कि पहले यहां चारों तरफ जंगल हुआ करता था. लकड़हारे यहां से लकड़ी काटकर ले जाते थे. फिर उसे बेचकर अपना जीवकोपार्जन करते थे. पुजारी ने बताया कि पुराने लोग बताते हैं कि सन् 1928 में एक दिन एक लकड़हारा यहां पर पेड़ काट रहा था. तभी उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर एक पत्थर से टकरा कर गई. थोड़े समय बाद उस पत्थर से खून की धारा बहने लगी. यह देख लकड़हारा घबरा गया. 


जमींदार के सपने में आए थे भगवान शिव 
कुछ देर बाद वहां उसे शिवलिंग नजर आया, जिसके बाद लकड़हारा उसे ऊपर लाने की कोशिश करने लगा. लेकिन लकड़हारा जितना शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता वो उतना ही नीचे धंसता जाता. जिसके बाद उसने पास के गांवों में पहुंचकर घटना के बारे में बताया. किसी को यकीन नहीं हुआ. कुछ दिनों बाद यहां के जमींदार गब्बू दास को रात में भगवान भोलेनाथ का सपना आया. भगवान शिव ने बताया कि तुम्हारी जमीन में अमुक स्थान पर शिवलिंग है. उसकी खुदाई करवाकर वहां मंदिर का निर्माण कराओ. इसके बाद जमींदार और स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचकर खुदाई कराई, तो शिवलिंग निकला. तभी से वहां अनावरत पूजा-अर्चना हो रही है.



मंदिर का नाम कैसे पड़ा महादेव झारखंडी? 
दावा है कि इस शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के निशान मौजूद हैं. पुजारी के अनुसार, जंगल होने की वजह से ये स्वयंभू शिवलिंग हमेशा पत्तों से ढका रहता था यही वजह है कि मंदिर का नाम महादेव झारखंडी पड़ा है. बता दें कि जब भगवान शिव किसी कारणवश स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं. ऐसे शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग कहते हैं. देश में स्वयंभू शिवलिंग कई जगहों पर हैं. जहां बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगती है. 



मंदिर में नहीं है कोई छत 
इस मंदिर की एक और खासियत यह है कि इस पर कोई छत नहीं है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, कई बार मंदिर की छत बनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह कभी पूरी नहीं हो पाई. यही वजह है कि आज भी झारखंडी महादेव शिवलिंग खुले मंदिर में ही है. वहीं, शिवलिंग के बगल में ही एक पीपल का पेड़ है. यह विशालकाय पांच पौधों को मिलाकर बना है. इसकी जड़ के पास शेषनाग जैसी आकृति बनी हुई है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र है.



सावन में झारखंडी महादेव मंदिर में लगता है मेला 
झारखंडी महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व हो या सावन का महीना, हमेशा भक्तों की कतार लगती है. वहीं शिवरात्रि पर यहां बड़ा मेला लगता है. जबकि सावन में सामान्य मेला लगा रहता है. ऐसे में यहां आने वाले भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना के बाद मेले का भी आनंद लेते हैं.


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सीएम योगी का मंदिर से है खास लगाव 
बता दें कि सूबे के मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ का भी इस मंदिर से खास लगाव है. वह अक्सर इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं. बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी सीएम योगी ने मंदिर पहुंचकर पूरे विधि विधान के साथ भगवान शिव की अराधना की थी. मुख्यमंत्री ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया था. सीएम योगी अक्सर गोरखपुर के झारखंडी महादेव मंदिर पहुंचकर भोलेनाथ की अराधना करते रहे हैं.