कुलदीप चौहान/बागपत: बागपत का परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर सैकड़ों वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव को जलाभिषेक कर जो मुराद मांगी जाती है, भगवान शिव उसको पूरा कर देते हैं. बताया जाता है कि भगवान परशुराम ने हरिद्वार गंगा जी से लाकर यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी. 


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जलाभिषेक के लिए आते हैं लाखों श्रद्धालु
हर साल श्रावण में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर मनोकामना मांगते हैं. पंडित जय भगवान बताते हैं कि पुरा महादेव मंदिर पर हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है. पिछले साल 20 लाख के करीब शिव भक्तों ने भगवान का जलाभिषेक किया था. इस बार श्रद्धालु और बढ़ने की उम्मीद,  जिसको लेकर मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन तैयारियों में जुट गया है.


सुरक्षा को लेकर जिला-प्रशासन कर रहा इंतजाम
महाभारत कालीन परशुरामेश्वर पुरा महादेव मन्दिर आगामी महाशि‌वरात्रि पर होने वाले जलाभिषेक के लिए सजाया जाने लगा है. मन्दिर की सुरक्षा को बागपत जिला प्रशासन ने चाक चौबंद करने में जुटा है. कांवड़ियों के स्वागत के लिए मन्दिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है. रास्ते पर बैरिकेडिंग कर कांवड़ियों को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.


मंदिर पहुंच सकते हैं 20 लाख कांवड़िये
मन्दिर के पुजारी जयभगवान की माने तो इस बार 20 लाख कांवड़ियों के मन्दिर पहुंचने की संभावना है. अभी भी हरिद्वार से जल लेकर शिवभक्त कांवड़िये इस प्राचीन मन्दिर मे जलाभिषेक करने पहुंचे रहे हैं. माना जाता है कि भगवान शिव का जलाभिषेक करने के बाद जो मन्नत मांगी जाती है उसे भगवान शिव जरुरत पूरी करते है. 


पूरी होती हैं भक्तों की मनोकामनाएं
प्राचीन होने के साथ साथ पुरा महादेव मंदिर शिव पूरे पश्चिम यूपी के शिवभक्तों की आस्था, श्रद्धा और विश्वास का अटूट तीर्थस्थल है. श्रावण और फाल्गुन मास में लाखों शिवभक्त भगवान आशुतोष पर जलाभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते है. मान्यता है कि भगवान परशुराम की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने स्वयं दर्शन दिए थे. 


हिंडन नदी के किनारे बना है परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर
बागपत जिला मुख्यालय से 25 कि० मी० दूर पुरा गांव में हिंडन नदी के किनारे बना परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर शिव भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है, ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता है कि इसी स्थान पर परशुराम ने शिवलिंग स्थापित कर भगवान शिव की घोर उपासना की थी. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर परशुराम को प्रकट होकर दर्शन दिए और भगवान परशुराम की दो इच्छाओं को पूर्ण किया, एक भगवान परशुराम की माता को जीवित करना दूसरा विश्व कल्याण की कामना थी.


जुड़ी है ये मान्यता
बताया जाता है भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा के अनुसार अपनी मां रेनुका की हत्या कर दी थी. लेकिन बाद में पश्चाताप स्वरुप शिवलिंग स्थापित कर भगवान आशुतोष की घोर उपासना की तो भगवान शिव ने प्रकट होकर परशुराम की तपस्या का फल दिया. इसी मान्यता के चलते इस मंदिर में शिव भक्तों का हुजूम हरिद्धार से कांवड़ उठाकर पैदल ही पूरा महादेव मंदिर आकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं.